ठंड में शिकारी बन जाता है ये वायरस!गायों की छीनता है जिंदगी,जानें बचाव के उपाय

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Cattle Disease Prevention: खुरपका-मुंहपका रोग गाय, भैंस जैसे खुर वाले पशुओं में फैलता है. यह अत्यंत संक्रामक रोग है और ...अधिक पढ़ें

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बेगूसराय: ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही किसानों की चिंता बढ़ जाती है .ये बात अलग है कि प्रदेश के किसान कृषि कार्य हो या पशुपालन, काफी मेहनत और लगन से करते हैं. फिर भी कई बार किसानों की छोटी सी लापरवाही पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है . ऐसा इसलिए क्योंकि पशुओं के खुरपका और मुंहपका रोग से निदान के लिए पशुपालन विभाग के द्वारा समय-समय पर टीका करण किया जाता है, लेकिन किसान जिस तरह से लापरवाही बरसते हैं यह पशुपालक किसानों के लिए हानिकारक सिद्ध होता जा रहा है.

खास करके यह रोग पशुओं की मृत्यु दर को बढ़ाने में भी भूमिका निभा रही है, तो कैसे करें निदान कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर बेगूसराय के पशु रोग विशेषज्ञ डॉ विपिन कुमार से जानते हैं…

वायरस संक्रमण से फैलता है यह रोग
डॉ . विपिन कुमार के मुताबिक मुंहपका-खुरपका रोग (Foot and Mouth Disease – FMD) फटे खुर या दो खुर वाले पशुओं में जैसे गाय, भैंस, बकरी, हिरन, भेड़, सूअर तथा अन्य जंगली पशुओं में होने वाला एक अत्यंत संक्रामक एवं विषाणु जनित रोग है . यह रोग गायों और भैसों को अधिक प्रभावित करता है.

बता दें कि यह रोग एक अत्यंत संक्रामक वायरस (Aphtho virus) है, जो संक्रमित जानवरों के लार, मूत्र और मल के माध्यम से फैलता है. इसके अलावा, संक्रमित पशुओं के दूध और मांस के माध्यम से भी यह रोग फैल सकता है. यह वायरस संक्रमित जानवरों के खासने या छीकने से हवा में भी फैल सकता है. इस रोग का समय से निकल नहीं होने से पशुओं में मौत का भी कारण बनता है.

ऐसे करें पहचान
पशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विपिन कुमार ने आगे बताया इस रोग से ग्रसित पशुओं के मुंह, जीभ, होंठ, मसूड़ों और खुरों पर छोटे छोटे छाले हो जाते हैं जो बाद में मिलकर बड़े हो जाते हैं और घाव बनाते हैं . इस रोग से पशुओं को तेज बुखार (104०F – 106०F), दर्द, और खाने-पीने में परेशानी होती है, छोटे जानवरों के मामलों में यह रोग जानलेवा भी हो सकता है.

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इस बीमारी का कोई इलाज नहीं
मेडिकल साइंस के मुताबिक मुंहपका-खुरपका रोग का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है. इस रोग की चपेट में आने से पहले ही पशुओं को इस रोग के टीके लगवा लेना आवश्यक है. बड़े दुधारू पशुओं में इस रोग के लक्षणों को काम करने के लिए दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स और तरल पदार्थ दिए जाते हैं. वहीं, किसान भाई इस रोग से बचाव के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे टीका करण अभियान का लाभ लेकर अपने पशुओं का टीकाकरण कारण यही एक बचाव है. .

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 19:25 IST

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