डीजल और बिजली के बिना इस गांव के किसान करते हैं सिंचाई, बढ़िया हो रही फसल...

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 07, 2025, 18:28 IST

वैशाली के भलुई गांव में किसान सकलदेव यादव ने सोलर प्लांट लगाकर 150 किसानों को सस्ती सिंचाई सुविधा दी, जिससे खेती की लागत कम हुई और किसानों को भारी बचत हो रही है।

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सोलर

सोलर पैनल

हाइलाइट्स

  • सोलर प्लांट से 150 किसानों को सस्ती सिंचाई सुविधा मिली।
  • सिंचाई की लागत 60-90 रुपये प्रति घंटा हुई।
  • सोलर ऊर्जा से खेती की लागत कम और बचत बढ़ी।

वैशाली: हरित क्रांति ने भारतीय खेती को एक नई दिशा दी थी, लेकिन अब बिहार की धरती पर सोलर क्रांति जन्म ले रही है. खेती-बाड़ी में सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई की होती है, जहां किसान या तो बिजली पर निर्भर रहते हैं या डीजल पर. लेकिन वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के भलुई गांव में एक किसान ने इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल दिया है.

यहां के प्रगतिशील किसान सकलदेव यादव ने अपने खेत में सोलर प्लांट लगाया है, जिससे वह गांव के करीब 150 किसानों को कम खर्च में सिंचाई का पानी उपलब्ध करवा रहे हैं. उनका कहना है कि जहां बिजली से सिंचाई करने पर 120 रुपये प्रति घंटा और डीजल पंप से 200 रुपये प्रति घंटा खर्च आता था, वहीं उनके सोलर सिस्टम से जुड़े किसानों को मात्र 60 रुपये और अन्य किसानों को 90 रुपये प्रति घंटा में ही पानी मिल रहा है. इससे किसानों को भारी बचत हो रही है और खेती की लागत भी कम हो गई है.

कैसे काम करता है सोलर सिंचाई सिस्टम?
सकलदेव यादव ने अपने सोलर प्लांट से गांव के 150 किसानों के खेतों को पाइपलाइन से जोड़ दिया है. एक बार पानी छोड़ने के बाद यह सीधा सभी खेतों तक पहुंच जाता है. उनका कहना है कि उन्होंने इस तकनीक को सीखने के लिए पहले आगा खान संस्थान से संपर्क किया. संस्थान ने उन्हें पूसा कृषि विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग दिलवाई और फिर बक्सर में इस सिस्टम को दिखाया. वहां से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने खेत में सोलर पंप लगाया.

कम लागत, ज्यादा फायदा
सकलदेव यादव बताते हैं कि इस सोलर प्लांट को लगाने में मात्र डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन इससे गांव के किसानों को सिंचाई की सस्ती और स्थायी सुविधा मिल गई. अब किसान डीजल और बिजली के महंगे खर्च से बचकर आसानी से अपनी फसलें सींच सकते हैं.

सोलर ऊर्जा से सिंचाई की इस नई पहल ने भलुई गांव के किसानों की परेशानियों को खत्म कर दिया है. अगर सरकार और अन्य किसान भी इस तकनीक को अपनाएं, तो यह बिहार में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.

First Published :

February 07, 2025, 18:28 IST

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