Agency:News18 Haryana
Last Updated:February 07, 2025, 23:44 IST
धीर सिंह की डेयरी में 40 गाय-भैंस हैं, लेकिन दूध के कम दाम और बढ़ते खर्चों के कारण मुनाफा लगातार घट रहा है. पशुओं के चारे, देखभाल और कर्मचारियों की तनख्वाह पर भारी खर्च आता है, जबकि असली दूध का सही मूल्य नहीं म...और पढ़ें
फरीदाबाद में असली दूध के दाम से जूझते पशुपालक.
फरीदाबाद: फरीदाबाद के रहने वाले धीर सिंह पशुपालन का काम करते हैं. उनके पास 40 गाय और भैंस हैं. वह मूल रूप से नोएडा के रहने वाले हैं, लेकिन साल 2000 से फरीदाबाद में रह रहे हैं. उनके पास 6 डेयरियां हैं, जिनमें से 4 चालू हैं और 2 बंद पड़ी हैं.
धीर सिंह का कहना है कि पशुपालन से ज्यादा बचत नहीं होती, क्योंकि खर्चा बहुत ज्यादा होता है. दूध के दाम कम मिलते हैं. असली दूध खरीदने वाले कम हैं, जबकि नकली दूध की मांग ज्यादा रहती है. उनके यहां दूध 60, 72 और 100 रुपये किलो के अलग-अलग रेट पर बिकता है.
पशुओं को खिलाने-पिलाने में ज्यादा आता है खर्चा
धीर सिंह ने बताया कि एक भैंस रोज़ाना 4 से 10 किलो तक दूध देती है, लेकिन मुनाफे के लिए औसतन 8 किलो दूध मिलना जरूरी होता है. उनके पास 10 भैंस हैं. इसलिए रोज़ाना 80 किलो दूध निकलना चाहिए, लेकिन सही दाम न मिलने से मुनाफा कम हो जाता है.
पशुओं को खिलाने-पिलाने का खर्चा भी बहुत ज्यादा है. हर महीने 60 बोरी बिनौला, 60 बोरी छिलका, 60 बोरी चौकर, 30 किलो खील और 1 क्विंटल जई लगती है. इसके अलावा तीन नौकरों की तनख्वाह 65,000 रुपए महीना है. साथ ही उन्हें रोज़ खाना और दूध भी देना पड़ता है.
100 रुपए किलो बिकता है भैंस का दूध
धीर सिंह का कहना है कि अगर दूध 100 रुपए किलो बिके तो ही सही मुनाफा हो सकता है. जो लोग 60 रुपए किलो में दूध बेचते हैं. वे अक्सर उसमें झाग या पानी मिलाते हैं. उनकी चार भैंस का दूध सेक्टर-3 में 100 रुपए किलो बिकता है, जबकि बाकी भैंसों का दूध 60 से 72 रुपए किलो तक जाता है.
उन्होंने बताया कि साल 2000 में जब वे फरीदाबाद आए, तब डेयरी शुरू की थी. तब से बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन असली दूध का सही दाम आज भी नहीं मिल रहा, जिससे पशुपालकों को काफी दिक्कतें हो रही हैं.
Location :
Faridabad,Haryana
First Published :
February 07, 2025, 23:44 IST