हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा में मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें केंद्र से राज्य सरकार की तर्ज पर पारिवारिक, जातीय व सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने का आग्रह किया गया। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार पिछड़े वर्गों, एससी और एसटी और अन्य वंचित वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा के दौरान सदन को सूचित किया कि कांग्रेस संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के माध्यम से केंद्र पर सर्वेक्षण कराने के लिए दबाव बनाएगी।
एक साल के अंदर कराया गया सर्वेक्षण
सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के आश्वासन के अनुसार एक साल के अंदर सर्वेक्षण कराया गया है। सीएम ने कहा कि कानून के अनुसार पिछड़े वर्गों को 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है, क्योंकि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है। सीएम रेवंत रेड्डी ने आगे कहा कि कांग्रेस राज्य में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगी। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले, कांग्रेस ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का वादा किया था।
राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक
राज्य में किए गए जातिगत सर्वेक्षण को चर्चा के लिए विधानसभा में पेश करने से पहले इस पर विचार-विमर्श करने के लिए मंगलवार सुबह राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई। जातिगत सर्वेक्षण करने वाले राज्य नियोजन विभाग ने दो फरवरी को नागरिक आपूर्ति मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की उप-समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
तेलंगाना में किसकी कितनी आबादी
बता दें कि जाति सर्वेक्षण के अनुसार, मुस्लिम अल्पसंख्यकों को छोड़कर, पिछड़ा वर्ग राज्य में सबसे बड़ा समूह है। तेलंगाना की कुल 3.70 करोड़ आबादी में 46.25 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के लोग हैं। पिछड़ा वर्ग के बाद अनुसूचित जातियों की 17.43 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों की 10.45 प्रतिशत, मुसलमानों के पिछड़े वर्ग की 10.08 प्रतिशत, अन्य जातियों की 13.31 प्रतिशत और मुसलमानों की अन्य जातियों की 2.48 प्रतिशत आबादी है। (इनपुट- पीटीआई)
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