Darbhanga
अभिनव कुमार / दरभंगा: जिले के घनश्यामपुर प्रखंड क्षेत्र के बाऊर गांव के महादलित टोले में बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. हालाँकि, इस कठिनाई के बीच एक प्रेरणादायक तस्वीर उभर कर सामने आई है. यहां की निवासी सुनीता कुमारी अपने बलबूते पर नाव चला कर अपनी दिनचर्या को सुचारू रखने का प्रयास कर रही हैं.
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
सुनीता कुमारी की नाव पर केवल महिलाएं ही सवार होती हैं. उनका कहना है, हर किसी के घर में पुरुष नहीं होते और जिनके घर में पुरुष नहीं हैं, वे बाढ़ के पानी में डूब कर मर नहीं सकते. इसलिए, हम महिलाएं दिन-रात नाव चलाकर अपने काम करती हैं. सुनीता की यह पहल महिला सशक्तिकरण की एक बेहतरीन मिसाल प्रस्तुत करती है.
पुनर्वास की मांग
बाऊर गांव के निवासियों की एक प्रमुख मांग वर्षों से पुनर्वास की है. वे सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें किसी ऊँचे स्थान पर पुनर्वासित किया जाए, ताकि हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से राहत मिल सके.
सरकार से अपील
गांव के लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड क्षेत्र के बाऊर गांव के महादलित टोले की समस्याओं का समाधान किया जाए. उन्हें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर कार्रवाई करेगी. दरअसल, कमला नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण इस गांव में हर वर्ष बाढ़ का सामना करना पड़ता है. गांव की सड़कों पर कमर भर पानी भरा हुआ है, जिससे विशेष रूप से महिलाओं को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. शौचालय की समस्या यहां महिलाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.
प्रेरणा का स्रोत
सुनीता कुमारी की कहानी हमें महिला सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ने की प्रेरणा देती है. यह हमें याद दिलाती है कि हमें हर चुनौती का सामना करने के लिए अपनी शक्ति और संघर्ष की भावना को बढ़ावा देना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED :
October 3, 2024, 16:42 IST