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Last Updated:January 22, 2025, 19:21 IST
World Economic Forum: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 5 दिन की मीटिंग में दुनियाभर से राजनीतिक और आर्थिक नेताओं का जुटान हो रहा है. इस फोरम की स्थापना 1971 को जर्मन इंजीनियर और अर्थशास्त्री क्लॉस श्वाब ने की थी.
नई दिल्ली. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की 55वीं वार्षिक बैठक 20 जनवरी से स्विट्जरलैंड के दावोस में शुरू हुई है. इसमें यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लेयेन, चीन के उपप्रधानमंत्री डिंग शुएशियांग और अन्य लोग सालाना बैठक में शामिल हुए. भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव कर रहे हैं, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी शामिल हैं.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का इतिहास
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट जर्मन प्रोफेसर क्लाउस श्वाब वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की स्थापना की. उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन एफ. केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की. 1972 से 2003 तक श्वाब जिनेवा विश्वविद्यालय में बिजनेस पॉलिसी के प्रोफेसर थे. उन्होंने 1971 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की स्थापना की, जिसे पहले यूरोपियन मैनेजमेंट फोरम के नाम से जाना जाता था. इसने “स्टेकहोल्डर कैपिटलिज्म” की कंसेप्ट को पेश किया. WEF की फंडिंग इसके अपने मेंबरशिप फीस से होता है, जिसमें इंडस्ट्री लीडर्स और अलग-अलग सेक्टर्स के लोग शामिल होते हैं. इसके अलावा कई सेलिब्रिटी, पत्रकार और रुचि रखने वाले लोग एनुअल फीस और मीटिंग फीस का भुगतान करने के लिए तैयार रहते हैं.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम क्या करता है?
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में नए मसले, ट्रेंड्स और ऑर्गेनाइजेशन पर चर्चा की जाती है. यह आमतौर पर माना जाता है कि यह कॉर्पोरेट और पब्लिक सेक्टर के फैसले लेने को प्रभावित करता है. WEF संगठन के कई चल रहे प्रोजेक्ट्स हैं जो ग्लोबल मसले जैसे जलवायु परिवर्तन, चौथी इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन और ग्लोबल सिक्योरिटी को संबोधित करने के लिए काम करते हैं. यह अपने इंटरनेशनल पार्टनर्स के साथ मिलकर इन एरिया में पॉजिटिव बदलाव लाने का प्रयास करता है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के पास फैसले लेने की शक्ति नहीं है, लेकिन यह राजनीतिक और बिजनेस पॉलिसी फैसले को प्रभावित करने की काफी क्षमता रखता है. पिछले साल इस इवेंट के प्रमुख थीम एआई, जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताएं, जलवायु परिवर्तन और चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ की धीमी गति थे.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में मील के पत्थर
1973 की घटनाओं जैसे ब्रेटन वुड्स फिक्स्ड एक्सचेंज रेट मैकेनिज्म का पतन और अरब-इजरायली युद्ध ने सालाना बैठक का ध्यान मैनेजमेंट से आर्थिक और सामाजिक मुद्दों की ओर बढ़ाया. दो साल बाद वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने ‘दुनिया की 1,000 प्रमुख कंपनियों’ के लिए मेंबरशिप सिस्टम पेश की. यूरोपियन मैनेजमेंट फोरम पहला गैर-सरकारी संस्थान था जिसने 1979 में चीन और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने पर चीन के आर्थिक विकास आयोगों के साथ पार्टनरशिप शुरू की. 1992 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति डी क्लर्क ने सालाना बैठक में नेल्सन मंडेला और जुलु प्रिंस मंगोसुथु बुथेलेजी से मुलाकात की. 1998 में प्रतिभागियों ने प्रमुख विकासशील देशों को प्रोसेस में शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया. एक विचार था कि 20 देशों का एक बॉडी स्थापित किया जाए – आधे विकसित अर्थव्यवस्थाएं और आधे विकासशील. इस तरह की G20 की बैठक उसी साल बॉन (जर्मनी) में आयोजित की गई.
इस बार की थीम
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम एनुअल मीटिंग 2025 ‘सेफगार्डिंग द प्लेनेट’ थीम के तहत 26 लाइव सेशन की मेजबानी करने के लिए तैयार है. इनमें कार्बन प्राइसिंग और नेचर मार्केट्स से लेकर मौसम में बदलाव और COP30 तक के मुद्दे शामिल हैं. एनुअल मीटिंग में 30 से ज्यादा प्लांड टॉक्स ‘इंडस्ट्रीज इन द इंटेलिजेंस एज’ थीम के तहत आती हैं, जिसमें 120 से ज्यादा स्पीकर्स शामिल हैं. एजेंडे में 180 से ज्यादा नामों और 45 सेशन के साथ ‘इन्वेस्टिंग इन पीपल’ एक ऐसा टॉपिक है जो दावोस 2025 में बहुत कुछ लाने वाला है. ‘रीबिल्डिंग ट्रस्ट’ का टॉपिक यह पता लगाने का प्रयास करता है कि स्टेकहोल्डर्स अंतरराष्ट्रीय और सोसायटी के भीतर सॉल्यूशन पर सहयोग करने के नए तरीके कैसे खोज सकते हैं.
WEF 2025 में अब तक क्या हुआ है?
महाराष्ट्र ने 4.99 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इन निवेशों से 92,235 नौकरियों के जनरेट होने की उम्मीद है. इनमें से सबसे अहम MoU 3 लाख करोड़ रुपये का JSW ग्रुप के साथ स्टील, रिन्यूएबल एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट, लिथियम-आयन बैटरी, सोलर वेफर्स और सेल मॉड्यूल में निवेश के लिए साइन किया गया. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर मोदी सरकार द्वारा किए गए अच्छे काम की सराहना की और उम्मीद जताई कि आगामी बजट में जॉब मार्केट को बढ़ावा देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने ब्रिक्स के लिए किसी कॉमन करेंसी की तत्काल संभावना से इनकार किया.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 22, 2025, 19:21 IST