Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:January 24, 2025, 16:39 IST
Ghazipur: गाजीपुर के राहुल मौर्य किसी के लिए भी मिसाल हैं. दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल की. इतना ही नहीं उन्होंने छात्रसंघ चुनाव भी जीता.
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"व्हीलचेयर पर बैठकर 1000 वोट से जीता चुनाव, राहुल मौर्य ने लिखी नई कहानी"
गाजीपुर. गाजीपुर के छोटे से गांव के राहुल कुमार मौर्य बचपन में तेज बुखार की वजह से दिव्यांग हो गए. कई जगह इलाज कराने के बावजूद उनके पैर ठीक नहीं हो सके और वे व्हीलचेयर पर आ गए. उनका बचपन खेल-कूद से दूर रहा, लेकिन पढ़ाई में उनका मन लगता था. राहुल ने अपनी बेसिक शिक्षा सम्राट स्कूल और आदर्श इंटर कॉलेज, गाजीपुर से पूरी की. भूगोल और हिंदी जैसे विषयों में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पीजी कॉलेज, गाजीपुर से किया.
आखिरी सेमेस्टर में लड़ा चुनाव
राहुल का सफर यहीं खत्म नहीं हुआ. दोस्तों के कहने पर ग्रेजुएशन के आखिरी सेमेस्टर में उन्होंने छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि उनके मन में झिझक थी लेकिन दोस्तों ने कहा कि व्हीलचेयर पर रहते हुए भी आप लोगों की मदद करते हैं, चुनाव लड़कर आप और ज्यादा लोगों तक पहुंच सकते हैं.
चुनाव के दौरान व्हीलचेयर पर की रैली
राहुल ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो चुनौतियों की कमी नहीं थी. व्हीलचेयर पर बैठकर हॉस्टल्स में छात्रों से मिलना, रैली करना और प्रचार करना उनके लिए आसान नहीं था. जहां दूसरे लोग 20 मिनट में पहुंचते, वहां राहुल को 40 मिनट लगते लेकिन छात्रों और संकाय के प्रतिनिधियों ने हर जगह उनका साथ दिया.
चुनाव के दौरान छात्रों ने उन्हें दिल से समर्थन दिया. उनकी मेहनत और लगन ने राहुल को 1000 वोटों के साथ विजयी बनाया. उनकी जीत ने यह साबित कर दिया कि शारीरिक कठिनाइयां सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती. राहुल कुमार मौर्य लोकल 18 को बताते हैं कि बाद में उन्हें मोटर वाली व्हीलचेयर मिल गई, जिससे उनके आने-जाने की सुविधा आसान हो गई.
5 मिनट में भर देते हैं बच्चों के फॉर्म
राहुल मौर्य न केवल छात्र नेता बने, बल्कि आज वे अपने काम से न जाने कितने लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. उन्हें सरकार से मोटर व्हीलचेयर मिली, जिससे उनका जीवन और आसान हुआ. राहुल आज फोटोस्टेट की दुकान चलाते हैं और हर 5 मिनट में एक फॉर्म भरकर हजारों छात्रों की मदद करते हैं. वे सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक लगातार काम करते हैं और अपने फोन पर छात्रों के स्कॉलरशिप और अन्य फॉर्म भरने की समस्याएं हल करते रहते हैं.
ट्रेनिंग से निखरा कौशल
कौशल विकास योजना के तहत कंप्यूटर चलाने और बिलिंग करने की ट्रेनिंग ने उन्हें रोजगार में और कुशल बना दिया. राहुल कहते हैं, “मैं खेल-कूद में कभी हिस्सा नहीं ले सका, लेकिन अब मैं अपने काम से खुश हूं” जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से प्रेरणा लेते हुए राहुल कहते हैं कि उन्होंने उनसे यह सीखा कि लोगों की मत सुनो, बस तुम आगे बढ़ते रहो. राहुल मौर्य की कहानी संघर्ष, साहस और सेवा की मिसाल है. उन्होंने यह साबित किया है कि व्हीलचेयर पर होते हुए भी सफलता की उड़ान भरी जा सकती है.
Location :
Ghazipur,Uttar Pradesh
First Published :
January 24, 2025, 16:39 IST
दिव्यांग होने के बाद भी नहीं रुके कदम, ऐसा है राहुल का संघर्ष से सफलता का सफर