Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:February 09, 2025, 08:00 IST
Agriculture News: इन बुंदेलखंड के किसानों के सामने बेहद कठिन स्थिति आ गई है. खासकर सागर और दमोह के किसान परेशान हैं. क्योंकि, यहां एक रोग ने चने की फसल को तबाह करना शुरू कर दिया है. अगर आप भी इसकी खेती कर रहे त...और पढ़ें
चने की खेती को बर्बाद कर रहा ये रोग. जानें उपाय
हाइलाइट्स
- बुंदेलखंड में चने की फसल पर फंगस का प्रकोप
- जल्दी सिंचाई से स्क्लेरोशियम रॉल्फ साई कवक का खतरा
- हेक्साकोनाजोल का छिड़काव कर सकते हैं
सागर: बुंदेलखंड के सागर और दमोह ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मध्य प्रदेश में सबसे अधिक चने की खेती की जाती है. दोनों ही जिलों में डेढ़ लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर चने का उत्पादन किया जा रहा है. चना के प्रोसेस करने पर 40 से अधिक प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, जिनकी देश विदेश तक सप्लाई होती है.
लेकिन, कहीं-कहीं पर खेत में चने का पूरा पौधा सूख कर टूटने की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने किसानों के माथे पर चिंताएं बढ़ा दी हैं. ऐसे में अपनी चने की फसल से अच्छा उत्पादन लेने किसानों को कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसकी वजह से उनकी फसल तो सुरक्षित होगी ही साथ में उत्पादन वृद्धि से मोटी कमाई भी होगी.
लेट बुवाई वाली फसलों में आई समस्या
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी चने की फसल में लग रहे इस रोग की हैरान करने वाली वजह बताते हैं. उनके मुताबिक जहां पर चना की बुवाई लेट की गई है, वहां पर यह रोग देखने को मिल रहा है. क्योंकि, लेट बुवाई के बाद किसान जल्दी-जल्दी फसल को बढ़ाने के चक्कर में सिंचाई करते हैं. जल्दी-जल्दी सिंचाई करने की वजह से फसल में इस तरह की बीमारियां लग जाती हैं.
न फसल में स्क्लेरोशियम रॉल्फ साई कवक लगता
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, जल्दी-जल्दी सिंचाई करने से चना फसल में स्क्लेरोशियम रॉल्फ साई नामक कवक लगता है, जो तना और जड़ के बीच में फफूंद पनपता है, यह दूध जैसा होता है और दही जैसा जमकर पौधे को सुखा देता है. पौधा सूखने की वजह से न तो उसमें फूल आते हैं ना फल आते हैं. न ही वह किसी काम का बचता है, जिसकी वजह से निश्चित तौर पर किसानों को बड़ा नुकसान हो जाता है.
सिंचाई के बाद इन रसायन का छिड़काव करें
आगे बताया, इसलिए अगर चना की फसल में पौधे सूखने के लक्षण मिलते हैं, तो जल्दी-जल्दी से सिंचाई नहीं करनी चाहिए. जो सिंचाई की है, तो इस रोग से बचाव के लिए हेक्साकोनाजोल या हेक्साकोनाजोल प्लस कैप्टन या प्रापी कोनाजोल प्लस जिनेव ऐसे मिक्स वाले फ़ंजीसाइड का स्प्रे कर दें. सिंचाई के बाद तो समस्या कम हो सकती है, वहीं अगर चना की फसल में फूल आ गया है तो किसी भी तरह की दवा का छिड़काव नहीं किया जाता है, केवल सिंचाई पर कंट्रोल करना होता है जैसे यह रोग आगे नहीं बढ़ पाता है.
Location :
Sagar,Madhya Pradesh
First Published :
February 09, 2025, 08:00 IST
दूध जैसा फंगस..दही की तरह जमकर बर्बाद कर रहा फसल, इस चीज की खेती कर रहे तो..