Singhara Farming: यूपी के लखीमपुर जिले में किसान तालाब में सिंघाड़े की खेती करते हैं. जिसे अंग्रेजी में “वाटर चेस्ट नट” कहा जाता है. यह एक ऐसा फसल है, जो पानी में ही उगाया जाता है. इसकी खेती करके किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.मानसून की बरसात शुरू होने के साथ ही सिंघाड़े की खेती करने वाले किसान इस फसल की बुवाई की तैयारी शुरू कर देते हैं. यानी की जून से लेकर अगस्त तक इस फसल की रोपाई की जाती है . सिंघाड़े की फसल 6 महीने में तैयार हो जाती है.
10 साल से कर रहे हैं सिंघाड़े की खेती
किसान राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि वह पिछले करीब 10 वर्षों से सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं. बाजारों में सिंघाड़े की डिमांड अधिक होती है. अक्टूबर और नवंबर माह में बाजारों में ₹60 से लेकर 80 रुपए तक बिक्री होती है. दिसंबर माह में सिंघाड़े की फसल समाप्त हो जाती है. किसान राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम समाज की जमीन पर बने तालाब पर लगातार वो सिंघाड़े की खेती करते आ रहे हैं.
कैसे होती है सिंघाड़े की खेती?
किसान राजेश बताते हैं कि सिंघाड़े की रोपाई से पहले बीज को पानी में भिगोकर अंकुरित होने दें. जब उसमें अंकुरण हो जाए तब तैयार किए गए तालाब में अंकुरित पौधे की रोपाई कर दें. 2-3 पौधों को एक साथ लेकर अच्छी तरह से रोपाई करें. पौधे की रोपाई करते समय ध्यान दें कि पौधे से पौधे के बीच की दूरी 1 से 2 फीट तक होनी चाहिए. इससे पौधे का विकास अच्छा होने के साथ ही पैदावार भी अच्छी होगी.
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कुछ महीनों के लिए खूब होती है डिमांड
सिघाड़ा सालभर नहीं, लेकिन महिनों की लिए बाजारों में खूब बेचा और खरीदा जाता है. 60 से 100 रुपये के बीच आप इसे किलो के हिसाब से खरीद सकते हैं. स्वाद में मीठा ये फल सेहत के लिए लिहाज से भी फायदेमंद माना जाता है.
Tags: Agriculture, Lakhimpur Kheri
FIRST PUBLISHED :
November 15, 2024, 10:09 IST