वंशावली पर अब ग्राम पंचायत प्रतिनिधि से हस्ताक्षर अनिवार्य नही हैं.
गया:- बिहार में सालों बाद 20 अगस्त से जमीन सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राज्य के 45 हजार से अधिक गांवों में सर्वे होगा. सर्वे से पूर्व राज्य के सभी रैयत अपने जमीन की स्वघोषणा यानि प्रपत्र-2 जमा कर रहे हैं. जमीन सर्वे के लिए रैयतों से स्वघोषणा करने के मामले में दो दिन पूर्व तक रोहतास जिला पहले नंबर पर है, वहीं गया जिला दूसरे नंबर पर है. रोहतास जिले में तीन लाख 93 हजार 783 स्वघोषणा के लिए प्रपत्र-2 प्राप्त हुए. वहीं गया जिले में ऑनलाइन और ऑफलाइन 3 लाख 75 हजार प्रपत्र-2 स्वघोषणा के लिए प्राप्त हुए हैं. भोजपुर जिले में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मिलाकर कुल 33 हजार 355 स्वघोषणा ही अब तक प्राप्त हुए हैं. इसका स्थान ने सबसे नीचे यानी 38वें नंबर पर है, जबकि पूर्वी चंपारण में 34 हजार 594 स्वघोषणा प्राप्त हुए हैं. यह नीचे से दूसरे स्थान पर है.
लैंड सर्वे को लेकर बड़ा बदलाव
गांव से बाहर रहने वाले लोग अपनी जमीन का सर्वे कराने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन दे रहे हैं. इस बीच सरकार ने लैंड सर्वे को लेकर बदलाव किया है. पुस्तैनी जमीन का अलग-अलग नाम से सर्वे कराने के लिए वंशावली देना जरूरी है. इसको बनाने के लिए मजिस्ट्रेट और नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ या ग्राम पंचायत प्रतिनिधि से हस्ताक्षर कराना पड़ रहा था. इसके बगैर सर्वे कर्मियों की ओर से आवेदन नहीं लिया जा रहा था. इसके लिए लोग प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहे थे. अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को खोजने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही थी. इसकी शिकायत लगातार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में पहुंच रही थी. इसके बाद सरकार ने नियम में बदलाव कर दिया है और वंशावली पर अब ग्राम पंचायत प्रतिनिधि से हस्ताक्षर अनिवार्य नही हैं.
जमीन मालिक की उपस्थिति अनिवार्य नहीं
स्व-घोषणा पत्र के अनुसार जमीन की नापी होगी. अब जमीन मालिक की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है. अगर आप खुद या आपका कोई प्रतिनिधि मौजूद रहता है, तो सर्वे कर्मियों को पहचान में सुविधा होगी. सर्वे के लिए आवेदन देने के समय जमीन की अपडेट राजस्व रसीद देना जरूरी नहीं है. आपके पास जो रसीद होगी, वही जमा होगी. इस संबंध में गया जिला बंदोबस्त पदाधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि गया जिले में अभी तक ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से 3 लाख 75 हजार रैयत ने स्वघोषणा में आवेदन किए है. प्रपत्र-2 जमा करने के मामले में गया जिला पूरे बिहार में रोहतास के बाद दूसरे स्थान पर है. उन्होंने लोकल 18 को बताया कि गया जिले के 2820 राजस्व ग्राम में सर्वे हो रहा है, जो बिहार में सबसे ज्यादा है.
रैयत की परेशानी को लेकर बदला गया नियम
पदाधिकारी मुकेश कुमार ने Local 18 को आगे बताया कि सर्वे के दौरान रैयत को काफी परेशानी हो रही थी, जिसे देखते हुए विभाग ने कुछ बदलाव किए हैं. मजिस्ट्रेट और नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ या ग्राम पंचायत प्रतिनिधि से हस्ताक्षर कराना पड़ रहा था, जिसमें रैयत को परेशानी हो रही थी. लेकिन अब यह अनिवार्य नहीं है. इसके अलावा जमीन सर्वेक्षण का कार्य किस्तवार शुरू होना है. पहले उन्हें सरजमीं पर रहना अनिवार्य था. लेकिन इसमें भी बदलाव किया गया है और रैयत को सरजमीं पर रहना अनिवार्य नहीं है, चाहे रैयत देश से बाहर रहते हैं, उन्हें भी आने की जरूरत नहीं है. उनके आवेदन के आधार पर एक नंबर उन्हें दिया जाएगा. उस नंबर से वह सारी प्रकिया देख सकते हैं. रैयत अपने सुविधा अनुसार किसी व्यक्ति को प्राधिकृत कर रख सकते हैं, यह बाध्य नहीं है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 10:47 IST