नर्मदा की मिट्टी से बने करवा की MP में बढ़ी डिमांड, कैसे बनते हैं देसी करवे?

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खरगोन

खरगोन में सजा करवा बाजार.

दीपक पांडेय/खरगोन: करवा चौथ, सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे विशेष और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो इस साल 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. यह पर्व खासकर महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है. इस पावन अवसर पर मिट्टी के करवे का विशेष महत्व होता है, और मध्य प्रदेश के खरगोन और बड़वानी जैसे इलाकों में नर्मदा नदी की मिट्टी से बने करवे की मांग हर साल काफी बढ़ जाती है.

मिट्टी के करवे की बढ़ती मांग
खरगोन के बाजार में करवा चौथ के अवसर पर दुकानें सज चुकी हैं, और नगर पालिका के पास सड़क किनारे मिट्टी के करवा बेचने वाले ग्रामीण कलाकारों की दुकानें भी लग गई हैं. बड़वानी और खरगोन के ग्रामीण इलाकों के कलाकार मां नर्मदा की पवित्र मिट्टी से बने करवे बेचने आते हैं, जिन्हें महिलाएं विशेष रूप से पसंद करती हैं. करवा चौथ पर मिट्टी से बने करवे का धार्मिक महत्व माना जाता है, और यही कारण है कि महिलाएं इन्हें खरीदने में ज्यादा रुचि दिखाती हैं.

मुनाफे से ज्यादा लागत
बड़वानी के कलाकार मदन गोले के अनुसार, वे हर साल करवा बेचने बड़वानी से खरगोन आते हैं. सीजन के दौरान वे करीब 50 हजार रुपये का कारोबार करते हैं, जिसमें लगभग 20 हजार रुपये का मुनाफा होता है और बाकी 30 हजार रुपये खर्च होते हैं. इस साल बाजार में 20 से ज्यादा दुकानें लगी हैं, जहां करवे की कीमत 30 से 50 रुपये तक है. साथ ही, माता की फोटो 10 से 30 रुपये तक, और छलनी 30 से 50 रुपये तक बिक रही हैं.

कैसे बनते हैं मिट्टी के करवे
मदन बताते हैं कि करवे बनाने की प्रक्रिया काफी मेहनत भरी होती है. सबसे पहले वे मां नर्मदा से पवित्र मिट्टी लाते हैं, जिसे बारीकी से पीसकर घोल बनाते हैं. फिर इस घोल को लकड़ी के चाक पर हाथों से आकार दिया जाता है. करवा को अग्नि में पकाने के बाद उसे रंगों और सितारों से सजाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में तीन से चार दिन का समय लगता है. करवा के निर्माण में लगने वाले प्रयास और समय के बावजूद, मुनाफा कम ही होता है. कलाकार करवे बनाने के काम में लगभग दो महीने पहले से जुट जाते हैं, ताकि समय पर बाजार में इन्हें बेचा जा सके.

श्रंगार सामग्री की कीमत
मिट्टी के करवा की लागत लगभग 20 से 30 रुपये आती है, और बाजार में इन्हें 40 से 50 रुपये तक बेचा जाता है. महिला कलाकार दुर्गा बताती हैं कि करवा बनाने में बहुत मेहनत लगती है, परंतु फिर भी लोग भाव-ताव करते हैं, जिससे मुनाफा कम हो जाता है. करवा चौथ के लिए जरूरी पूजन और श्रंगार सामग्री बाजार में लगभग 250 रुपये में मिल जाती है. इसमें करवा, छलनी, माता की फोटो और श्रंगार की अन्य वस्तुएं शामिल हैं.

मिट्टी के करवे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
करवा चौथ पर मिट्टी से बने करवे का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे धार्मिक दृष्टि से शुद्ध और पवित्र माना जाता है. सुहागिन महिलाएं करवा बदलने की परंपरा निभाती हैं, और मिट्टी के करवे को पूजा के लिए आदर्श माना जाता है. मिट्टी के करवे न केवल धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं, बल्कि स्थानीय कलाकारों को रोजगार का एक प्रमुख स्रोत भी प्रदान करते हैं.

Tags: Karva Chauth, Local18, Madhyapradesh news, Save tradition

FIRST PUBLISHED :

October 18, 2024, 10:40 IST

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