आशापुरी माता.
खरगोन. मध्य प्रदेश के आशापुर धाम में स्थित प्राचीन आशापुरी माता मंदिर इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है. नवरात्रि में रोजाना यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. ऐसा माना जाता है कि पांडव पुत्र अर्जुन और महायोद्धा आल्हा ऊदल ने यहां कठोर तपस्या की थी, और आज भी देशभर के 28 गोत्रों के लोग माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर बसे छोटे से गांव आशापुर में पांडव कालीन आशापुरी माता का मंदिर है. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देवी आशापुरी पहले एक छोटी गुफा में विराजमान थीं. मंदिर ट्रस्ट के त्रिलोक यादव बताते हैं कि 800 वर्ष पूर्व 12वीं शताब्दी में पहली बार इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था, और फिर 2012 में जनसहयोग से इसे भव्य रूप में पुनर्निर्मित किया गया.
अर्जुन और आल्हा ऊदल से जुड़ी मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अर्जुन ने यहां कठोर तपस्या कर देवी आशापुरी से आशीर्वाद प्राप्त किया था। साथ ही, राजा आल्हा ऊदल के भी यहां तप करने की कहानियां प्रसिद्ध हैं. यही नहीं, मां आशापुरी को राजा मांधाता और पृथ्वीराज चौहान की कुलदेवी भी माना जाता है, जिनके वंशज आज भी यहां माता के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं. मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित कई राज्यों के 28 गोत्रों के लोग माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं.
नवरात्रि में विशेष आयोजन
नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार किया जाता है. नौ दिनों तक चलने वाले शतचंडी महायज्ञ के साथ क्षेत्र के 20 से ज्यादा गांवों के श्रद्धालु चुनरी यात्रा लेकर यहां पहुंचते हैं. मंदिर के पास स्थित शिव पर्वत और भगवान शिव की विशाल प्रतिमा भक्तों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं. मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित सुंदर बगीचे में फाउंटेन, झरना, हरियाली और आकर्षक लाइटिंग भक्तों के लिए खास अनुभव प्रस्तुत करते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 15:39 IST