रामपुर: नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना का अनूठा अवसर है, जिसमें भक्त 9 दिनों तक उनकी विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं. इन दिनों में हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है. प्रत्येक दिन मां के प्रिय प्रसाद चढ़ाए जाते हैं.
पहले दिन की पूजा
पहले दिन, मां शैलपुत्री की पूजा होती है. इस दिन गुड़ की मिठाई चढ़ाई जाती है. मां शैलपुत्री को पहाड़ों की देवी माना जाता है. गुड़ की मिठाई का सेवन मानसिक शक्ति और स्वास्थ्य को बढ़ाता है.
दूसरे दिन की पूजा
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इस दिन दूध और शहद चढ़ाए जाते हैं. मां ब्रह्मचारिणी तप और संन्यास का प्रतीक हैं. दूध और शहद चढ़ाने से भक्तों को स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
तीसरे दिन की पूजा
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जिसमें चना और गुड़ चढ़ाए जाते हैं. मां चंद्रघंटा का नाम उनके घंटे के आकार की घंटी से है. चना और गुड़ चढ़ाने से भक्तों को साहस और बल मिलता है.
चौथे दिन की पूजा
चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है. इस दिन खीर (चावल की मिठाई) का प्रसाद चढ़ाया जाता है. मां कूष्मांडा जीवनदाता है. खीर का सेवन सुख, समृद्धि और संतोष का प्रतीक है.
पांचवे दिन की पूजा
पांचवे दिन मां स्कंद माता की पूजा होती है. इस दिन आम का पना, जो गर्मी से बचाने वाला पेय है, चढ़ाया जाता है. मां स्कंद माता के प्रति श्रद्धा दिखाने के लिए आम का पना चढ़ाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है.
छठे दिन की पूजा
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जिसमें हलवे का प्रसाद चढ़ाया जाता है. मां कात्यायनी को नवरात्रि की देवी माना जाता है. हलवा मिठास और समृद्धि का प्रतीक है, जो भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करता है.
सप्तनी की पूजा
सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. इस दिन बासी (सादे चावल) चढ़ाए जाते हैं. मां कालरात्रि की पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. बासी चावल चढ़ाने से जीवन में संतुलन और शांति मिलती है.
अष्टमी की पूजा
अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन विशेष रूप से आलू का हलवा चढ़ाया जाता है. मां महागौरी का रंग सफेद है और आलू का हलवा सेहत और समृद्धि का प्रतीक है. इसे चढ़ाने से शुभता का संचार होता है.
नवमीं की पूजा
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इस दिन बर्फी (दूध से बनी मिठाई) चढ़ाई जाती है. मां सिद्धिदात्री ज्ञान और सिद्धियों की देवी हैं. बर्फी का चढ़ावा भक्तों को सुख-समृद्धि और ज्ञान प्रदान करता है.
इस पूजा का है विशेष महत्व
इन नौ दिनों में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का न केवल आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है. नवरात्रि के इस पर्व पर भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके प्रिय प्रसाद को चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस प्रकार, नवरात्रि न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि यह हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर को भी दर्शाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 11:38 IST