Last Updated:February 04, 2025, 19:47 IST
Indian navy News: टू फ्रंट वार की संभावनाओं के तहत नौसेना अपनी ताकत बढ़ा रही है. बजट में भी इसकी खास तवज्जों दी गई. विमान और एरो इंजन के लिए 48,614 करोड़ रुपये, नौसेना के बेड़े के लिए 24,390 करोड़, नेवल डॉकयार...और पढ़ें
Indian navy News: भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी 25 साल पूरे कर चुकी है. जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस दौरे से ठीक पहले रक्षा मंत्रालय ने नेवी के लिए दो अहम खरीद को हरी झंडी दी. इसमें नेवी के लिए 26 राफेल M और 3 स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की खरीद को हरी झंडी दी थी. इस वक्त दोनों डील एडवांस्ड फेज में है. फरवरी के महीने में पीएम मोदी का फ्रांस दौरा प्रस्तावित है. माना जा रहा है कि इस दौरे में राफेल और स्कार्पीन सबमरीन की डील परवान चढ़ सकती है. पीएम मोदी के फ्रांस दौरे से पहले CCS (सुरक्षा मामलों की केन्द्रीय कैबिनेट) की बैठक हो सकती है. रक्षा खरीद परिषद से हरी झंडी मिलने के बाद CCS की मुहर का इंतेजार है. कोई भी बड़ी रक्षा खरीद तभी आगे बढ़ती है जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की केन्द्रीय कैबिनेट उसे पास करता है.
राफेल M ने मारी बाजी
नौसेना ने एयरक्रफ्ट कैरियर INS विक्रांत लिए फ्रांस का राफेल M और अमेरिकी F-18 को शॉर्टलिस्ट किया था. कई राउंड के ट्रायल के बाद राफेल M ने बाजी मार ली. आने वाले दिनों में भारतीय आसमान में नेवी के राफेल फाइटर गरजेंगे. जनवरी में ही फ्रांस का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 3 जनवरी से 9 जनवरी तक भारत में रहा. इसी दौरान पहली बार ही राफेल M ने अरब सागर में उड़ान भरी.भारतीय वायुसेना के साथ अभ्यास में भी हिस्सा लिया.
ताकतवर है राफेल एम
समंदर के उपर उड़ान भरने वाले नेवी के फाइटर एयरक्राफ्ट वायुसेना के फाइटर से अलग होते है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी रेंज और शर्ट रनवे से फुल लोड के साथ टेकऑफ लेना. राफेल 2200 किलोमीटर प्रतिघंटा की टॉप स्पीड पर उड़ान भर सकता है. एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 37000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. यह 57000 फिट की उचांई तक आसानी से जा सकता है. राफेल जेट फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए हैं. यह ट्विन इंजन मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है. एयर टू एयर और एयर टू सर्फेस मार करने वाली मिसाइलों से लेस है. एंटी शिप मिसाइलें दागने में महिर है. हवा में इंधन भरने की क्षमता इसकी माकर क्षमता में इजाफा कर देता है.
मिलेगी 3 नई सबमरीन
भारतीय नौसेना अपने पुरान हो रहे पनडुब्बियों की फ्लीट के रिप्लेसमेंट के लिए बड़ी तेजी से कदम बढ़ा रही है. उसी के मद्देनजर प्रोजेक्ट 75 के तहत भारत को 3 नई सबमरीन मिलने का रास्ता साफ हो गया है. भारतीय नौसेना से सबमरीन प्लान की शुरुआत साल 1997 में शुरू हुई थी. रक्षा मंत्रालय ने सबमरीन प्रोग्राम को प्रोजेक्ट 75 के तहत आगे बढ़ाया. इस प्लान में 24 सबमरीन नेवी की बनाना था. 1999 में कार्गिल युद्ध के बाद CCS ने अगले 30 साल के सबमरीन बिल्डिंग प्लान के तहत प्रोजेक्ट 75 को नए प्लान को प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत आगे बढाया. भारत ने फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ साल 2005 में प्रोजेक्ट 75 प्रोग्राम के तहत 6 सेकॉर्पीन सबमरीन का करार किया. टैकनॉलॉजी ट्रांसफर के तरह मझगांव डॉक लिमिटेड शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने 6 पनडुब्बियों के निर्माण किया. सभी 6 सबमरीन भारतीय नौसेना को डिलिवर हो चुकी है.
साइलेंट किलर है स्कार्पीन
स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन एक अटैक सबमरीन है. यह आधुनिक फीचर्स से लैस है. यह दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है. यह टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से भी हमला कर सकती है. इससे ऐंटी सरफेस और ऐंटी सबमरीन, खुफिया सूचनाएं जुटाना, माइन बिछाना, इलाके की निगरानी करना जैसे कई मिशनों को अंजाम दिया जा सकता है. पुरानी हो चली सबमरीन के फेज आउट होने से पहले ही नई सबमरीन को अपने बेड़े में शामिल कर लेना चाहता है. 3 अतिरिक्त स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की फॉलो ऑन ऑर्डर को प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्माण किया जाना है. इस वक्त भारतीय नौसेना के पास कुल 17 कनवेशनल सबमरीन है. 7 रशियन किलो क्लास , 4 HWD जर्मन और 6 फ्रैंच स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन है. किलो क्लास और HWD सबमरीन पुरानी हो चली है. कुछ को अपग्रेड कर के इनकी सर्विस को बढ़ाया जा रहा है.
First Published :
February 04, 2025, 19:45 IST