अल्मोड़ा. धान की कटाई के बाद रबी फसलों की खेती का सीजन शुरू हो गया है. रबी फसलों में किसान मुख्य तौर पर गेहूं की खेती करते हैं. पहाड़ों मे गेहूं की खेती का पहला चरण 25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक होता है.वहीं दूसरी चरण 11 नवंबर से 25 नवंबर तक और तीसरा चरण 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक रहता है. हालांकि कुछ किसान जनवरी की शुरुआत तक गेहूं की बुवाई करते हैं. गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए लगभग 40 सेमी बारिश की जरूरत होती है. अगर अच्छी बारिश नहीं हो तो सामान्य तौर पर 4-6 सिंचाई करनी पड़ती है.
मैदानी इलाकों में पर्याप्त पानी होने की वजह से गेहूं की फसल अच्छी देखने को मिलती है पर पहाड़ी क्षेत्रों में पानी कम होने के साथ गेहूं की फसल ठीक ढंग से उग नहीं पाती है. ऐसे में उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पार्वतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर नवीन चंद बताते हैं कि पहाड़ों में पानी कम होने की वजह से किसानों को गेहूं की फसल में अच्छा फायदा नहीं मिल पाता है. अगर किसान कुछ खास किस्मों की बुवाई करते हैं तो कम पानी में भी ज्यादा उत्पादन मिल सकता है.
कम पानी में होगी बेहतर फसल
डॉक्टर नवीन चंद्र गहत्याड़ी ने बताया कि हमारे पर्वतीय क्षेत्र की अधिकतर कृषि बारिश पर आधारित है. किसानों को गेहूं की ऐसी किस्मों को उगाना चाहिए जो उन्हें फायदा ही फायदा दें. संस्थान विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों के ऊपर ध्यान देता है. संस्थान के द्वारा गेहूं की अलग-अलग प्रजातियां को भी यहां पर विकसित किया गया है, जो कम पानी में भी अच्छी फसल देते हैं. वैज्ञानिक नवीन चंद्र ने बताया कि संस्थान के द्वारा कम पानी में उगाई जाने वाली इन गेहूं की प्रजातियां को विकसित किया गया है. जिसमें VL गेहूं-2041, VL- गेहूं 2028, VL- गेहूं 2015, VL- गेहूं 967 और VL- गेहूं 953 की अलग-अलग प्रजातियों शामिल हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 16:08 IST