पांडव युग से जुड़ा है बरेली के अलखनाथ मंदिर का इतिहास, यहां लगती है भीड़

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Agency:News18 Uttar Pradesh

Last Updated:February 07, 2025, 13:38 IST

बाबा अलखनाथ ने यहां एक बरगद के पेड़ नीचे बैठ कर तपस्या की थी, जिसके बाद महादेव ने उन्हें वरदान दिया कि उनके नाम के आगे महादेव का नाम लगेगा.

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अलखनाथ

अलखनाथ मंदिर.

बरेली: महादेव की नगरी बरेली अपने पुराने ऐतिहासिक मंदिरों की वजह से पूरे उत्तरप्रदेश में प्रख्यात है. ऐसा ही एक धार्मिक और ऐतिहासिक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसकी अपनी एक मान्यता है. नाथ नगरी बरेली में स्थित बाबा अलखनाथ मंदिर में मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मंदिर का क्या है इतिहास 

इसका इतिहास यह है कि मुगलों के जमाने में एक बाबा आलखिया नाम के संन्यासी भटकते हुए यहां 500 वर्ष पहले आए. यहां उन्हें एक बरगद का पेड़ मिला जहां बैठ कर उन्होंने तपस्या की, जिसके बाद महादेव ने उन्हें वरदान दिया कि उनके नाम के आगे महादेव का नाम लगेगा. जिसके बाद से उनका नाम अलखनाथ पढ़ गया.

51 फिट की है हनुमान जी की मूर्ति

वैसे इस मंदिर में लगी हनुमान जी की मूर्ति 51 फिट की है जिसका भी एक इतिहास है. कहा जाता है कि  जब पाण्डव अज्ञातवास के लिए यहां आए तो वे यहीं रुके थे. इसीलिए, बरेली के इस मंदिर को अलखनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग एक बरगद के पेड़ के नीचे है जिसे वर्षों से भक्त पूजते आ रहे हैं. सोमवार के दिन इस मंदिर में भक्तों का भीड़ लगी रहती है.

मंदिर की क्या हैं मान्यताएं 

वहीं अलखनाथ मंदिर के पुजारी महंत विनोद गिरि ने लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि वह यहां 19 सालों से अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं. साथ ही साथ इस मंदिर की मान्यताएं प्राचीन समय से काफी प्रख्यात है. यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान अलकनाथ जी के दरबार में अपनी अर्जी लगता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है.

Location :

Bareilly,Bareilly,Uttar Pradesh

First Published :

February 07, 2025, 13:38 IST

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पांडव युग से जुड़ा है बरेली के अलखनाथ मंदिर का इतिहास, यहां लगती है भीड़

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