पीएम मोदी ने संसद में पढ़ी ये कविता, क्या आप कवि के बारे में जानते हैं?

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Last Updated:February 06, 2025, 20:04 IST

GK: राज्यसभा में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मशहूर कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज की एक कविता पढ़ी. वह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे.

पीएम मोदी ने संसद में पढ़ी ये कविता, क्या आप कवि के बारे में जानते हैं?

GK: गोपाल दास नीरज ने 100 से अधिक गीत लिखे हैं.

GK: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर निशाना साधते हुए कहा कि खरगे जी सदन में पिछले कुछ समय से काफी कविताएं सुना रहे हैं. एक मैं भी सुना लेता हूं. इसके बाद प्रधानमंत्री ने पहले एक शेर पढ़ा- तमाशा करने वालों को क्या खबर, हमने कितने तूफानों को पार कर दिया जलाया है. इसके बाद मशहूर कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज की लिखी एक कविता भी पढ़ी. उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस का समय चल रहा था, तब नीरज जी ने कहा था- मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा.

गोपाल दास नीरज की पूरी कविता ‘आज का शब्द’

मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा!
यह जो रात चुरा बैठी है चांद सितारों की तरुणाई,
बस तब तक कर ले मनमानी जब तक कोई किरन न आई,
खुलते ही पलकें फूलों की, बजते ही भ्रमरों की वंशी
छिन्न-भिन्न होगी यह स्याही जैसे तेज धार से काई,
तम के पांव नहीं होते, वह चलता थाम ज्योति का अंचल
मेरे प्यार निराश न हो, फिर फूल खिलेगा, सूर्य मिलेगा!
मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा!

सिर्फ भूमिका है बहार की यह आंधी-पतझारों वाली,
किसी सुबह की ही मंजिल है रजनी बुझे सितारों वाली,
उजड़े घर ये सूने आंगन, रोते नयन, सिसकते सावन,
केवल वे हैं बीज कि जिनसे उगनी है गेहूं की बाली,
मूक शान्ति खुद एक क्रान्ति है, मूक दृष्टि खुद एक सृष्टि है
मेरे सृजन हताश न हो, फिर दनुज थकेगा, मनुज चलेगा!
मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा!

व्यर्थ नहीं यह मिट्टी का तप, व्यर्थ नहीं बलिदान हमारा,
व्यर्थ नहीं ये गीले आंचल, व्यर्थ नहीं यह आंसू धारा,
है मेरा विश्वास अटल, तुम डांड़ हटा दो, पाल गिरा दो,
बीच समुन्दर एक दिवस मिलने आयेगा स्वयं किनारा,
मन की गति पग-गति बन जाये तो फिर मंजिल कौन कठिन है?
मेरे लक्ष्य निराश न हो, फिर जग बदलेगा, मग बदलेगा!
मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा!

जीवन क्या?-तम भरे नगर में किसी रोशनी की पुकार है,
ध्वनि जिसकी इस पार और प्रतिध्वनि जिसकी दूसरे पार है,
सौ सौ बार मरण ने सीकर होंठ इसे चाहा चुप करना,
पर देखा हर बार बजाती यह बैठी कोई सितार है,
स्वर मिटता है नहीं, सिर्फ उसकी आवाज बदल जाती है.
मेरे गीत उदास न हो, हर तार बजेगा, कंठ खुलेगा!
मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा!

गोपाल दास नीरज गीतों के राजकुमार

गोपाल दास नीरज का जन्म इटावा जिले के पुरवाली में 4 जनवरी 1925 को हुआ था. उन्होंने 19 जुलाई 2018 को अंतिम सांस ली थी. उन्होंने फिल्मों के लिए कई गीत लिखे, जो बेहद मशहूर हुए. जिसमें फिल्म प्रेम पुजारी का गीत- फूलों के रंग से, दिल की कलम से, फिल्म मेरा नाम जोकर का गीत- ए भाई, ज़रा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे…शामिल हैं. उन्हें गीतों का राजकुमार कहा जाता है.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

February 06, 2025, 20:04 IST

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