साहित्यकार डॉ. अरुण ढौंडियाल
श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड ने हिंदी साहित्य जगत को कई बड़े साहित्यकार दिए हैं, जिन्होंने हिंदी साहित्य जगत में अपनी रचनाओं के जरिये कीर्तिमान स्थापित किया है. एक ऐसे ही साहित्यकार पौड़ी जनपद के ढौंडियालसौं निवासी डॉ. अरुण ढौंडियाल भी हैं, जो अपने साहित्य के जरिये उत्तराखंड के जनजीवन और मुद्दों को उठाते हैं. वे बतौर साहित्यकार केवल उपन्यास और कहानी संग्रह ही नहीं लिखते बल्कि सामाज और शिक्षा के क्षेत्र में भी लगातार कई वर्षों से काम कर रहे हैं.
कैसे शुरू हुआ सफर
पौड़ी के ही सरकारी विद्यालय से बतौर सहायक अध्यापक उनका सफर शुरू हुआ था. उसके बाद उन्होंने सरकारी विद्यालय में ही प्रवक्ता, प्रधानाचार्य और संघ लोक सेवा आयोग के जरिये दिल्ली सरकार में राजपत्रित अधिकारी समेत कई महत्वपूर्ण पदों में पर अपनी सेवाएं दी. साथ ही अब तक उनकी 40 किताबें, 4 लघु शोध और 100 से अधिक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. लेखन के क्षेत्र में वे 14 राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.
डॉ. अरुण ढौंडियाल ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने उत्तराखंड में 22 सालों तक विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. उनका अधिक्तर लेखन उत्तराखंड पर ही केंद्रित है और उनकी रचनाओं में अधिकतर उत्तराखंड का जिक्र मिलता है.
पहले ही उपन्यास ने बटोरी चर्चा
डॉ. ढौंडियाल ने कहा कि उनका पहला ही उपन्यास ‘अधूरे लोग’ बड़ी चर्चाओं में रहा. जिसको लोगों ने सीरियल और मैगजीन के जरिये देखा और पढ़ा. ‘अधूरे लोग’ उन्होंने उत्तराखंड के परिवेश में पले-बढ़े लोगों के लिये लिखा, जिन्हें अच्छी संस्थाओं में स्थान नही मिलता है. विशेषतौर यह उपन्यास यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश को लेकर लिखा गया है.
मंदिरों में रहने वाले बाबा पर भी लिखा
‘अधूरे लोग’ के बाद उन्होंने समाज की कुरीतियों के बारे में लोगों को बताने के लिये, ‘एक और संसार’ में उत्तराखंड के मठों और मंदिरों में रहने वाले बाबा और योगिनियों के संदर्भ में लिखा. इसमें वास्तविक पात्रों को लिया गया है, जिसमें शांति माई और चेपडू बाबा का जिक्र मिलता है. शांति माई के बारे में उन्होंने जो लिखा वह वास्तविक साबित हुआ. आज शांति माई नेपाल बॉर्डर पर एक स्कूल संचालित करती हैं.
युवाओं के लिये प्रेरणादायी डॉ. ढौंडियाल की रचनाएं
साहित्यकार प्रो. मंजुला राणा ने लोकल 18 को बताया कि डॉ. अरुण ढौंडियाल द्वारा एक शिक्षक और साहित्यकार रहते हुए, जो योगदान दिया गया है वह केवल हिंदी साहित्य जगत के लिये ही नही बल्कि युवाओं के लिये भी बहुत प्रेरणादाई रहा है. उत्तराखंड के बारे में जानना है, तो डॉ. ढौंडियाल के साहित्य को पढ़ना जरुरी है. उनकी रचनाओं में यहां की झलक मिलती है.
Tags: Local18, Pauri Garhwal News, Uttrakhand
FIRST PUBLISHED :
December 3, 2024, 15:06 IST