रेत खनन वैध हो या अवैध, भुगतने होंगे बड़े नुकसान! एक्सपर्ट की मानें सलाह वरना..

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नदियों से रेत निकालने के नुकसान

बालाघाट. दुनिया में लगभग सभी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर हुआ है. नदियों के अस्तित्व से ही इंसान और शहरों का अस्तित्व है. अगर नदियां ही खत्म हो जाएंंगी तो ईको सिस्टम में बड़े बदलाव होंगे. इसका सीधा प्रभाव मानवीय जीवन पर पड़ेगा. जब हम बालाघाट जिले के संदर्भ में बात करते हैं, तो यहां की सारी नदियां वर्षा आधारित जल पर ही निर्भर रहती हैं. ऐसे में इन्हें मौसमी नदियां भी कहा जा सकता है. अब इन नदियों का अतिदोहन चरम पर है, ऐसे में नदियों से रेत निकल जाएगी और बचे रहेंगे तो सिर्फ कंकर और पत्थर. Local 18 बालाघाट की बावनथड़ी नदी पर जा पहुंचा और नदियों के हालात जानने की कोशिश की…

नदियों से हो रहा अति उत्खनन
दिग्धा के एक किसान ने बताया कि नदी में रेत का स्तर खेत के बराबर था. लेकिन यहां पर कई साल से रेत निकाली जा रही है. ऐसे में नदी की रेत 5 फिट तक खाली हो चुकी है. अब सिर्फ 3 फिट ही रेत बची है. अब ये भी खुद जाएंगी, तो सिर्फ कंकर और पत्थर बचेंगे. ऐसे में पानी की समस्या बढ़ जाएगी, जिससे गर्मियों में खेती करना मुश्किल हो जाएगा. बारिश के मौसम के खत्म होते ही कुओं का जलस्तर कम हो रहा है. जब डैम से अचानक पानी छोड़ा जाता है, तब खेत के किनारों की मिट्टी भी बह जाती है. ऐसे में नदी के किनारों के कई एकड़ खेत की फसलें भी बह जाती हैं.

एक्सपर्ट बोले- नदी की बर्बादी के लिए सब जिम्मेदार
हमने नदियों के हो रहे दोहन के विषय पर पर्यावरण विशेषज्ञ सुभाष चंद्र पांडे से बातचीत की. उन्होंने Local 18 को बताया कि नदी के दोहन के लिए सब जिम्मेदार हैं. सिस्टम जो अतिदोहन पर अंकुश नहीं लगाता है, और किसान जो नदियों के ग्रीन बेल्ट के पेड़ काटकर खेती करते हैं. वे सभी भी नदियों का एक हद तक दोहन करते हैं. इसकी पूर्ति समय के साथ हो सकती है. वहीं, नदियों के किनारे के ग्रीन बेल्ट ही नहीं होंगे तो, भू-क्षरण बिल्कुल होगा. ऐसे में अगर नदियों को बचाना है, तो सभी को मिलकर प्रयास करने पड़ेंगे.

रेत नदी का अहम भाग
पर्यावरण विशेषज्ञ सुभाष चंद्र पांडे ने Local 18 को बताया कि नदियों के कारण ही पर्यावरण का संतुलन बना हुआ है. अगर ग्राउंड लेवल वाटर ही नहीं होगा तो सभी जीवों के लिए मुश्किल होगी. वहीं, दूसरी तरफ नदियों के रेत में जल धारण क्षमता यानी, पानी को पकड़े रहने की क्षमता होती है. ऐसे में जब भी नदी में पानी आता है, तो पहले इसे रेत सोख लेती है. इससे बाढ़ की स्थिति भी नहीं बनती और पानी भी जमीन तक पहुंच जाता है. ऐसे में भू-स्तरीय जल भी स्थिर रहता है. इसके अलावा नदियों की रेत में बहुत से जलीय जीव प्रजनन कार्य करते हैं. लेकिन रेत न होने के कारण कई जलीय जीव विलुप्त होने की कगार पर हैं. इसमें कई जीव तो अब विलुप्त हो चुके हैं.

Tags: Latest News, Local18, Madhya pradesh news, Sand Mining

FIRST PUBLISHED :

December 4, 2024, 13:56 IST

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