प्रसव ऑपरेशन का अजब-गजब केस, बच्चेदानी से गायब था बच्चा, डॉक्टरों के उड़े होश

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मरीज

मरीज का चेकअप करते हुए डॉक्टर

बाड़मेर:- भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के एक निजी अस्पताल में प्रसव के ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकीय टीम हैरान हो गई, जब उन्होंने देखा कि प्रसूता के बच्चेदानी में बच्चा ही नहीं है. बाड़मेर के शिव अस्पताल में आया यह केस करोड़ों में एक होता है. अगर गर्भाशय के बाहर बच्चा ठहरता है और बच्चा 8 महीने तक जीवित रहता है, तो उसे एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी कहा जाता है.

दरअसल बाड़मेर के चौहटन तहसील के बींजासर की रहने वाली लीला देवी की तबियत चौहटन के एक अस्पताल में बिगड़ने के बाद उसे जिला मुख्यालय के शिव अस्पताल लाया गया, जहां ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकीय टीम को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का केस नजर आया, जो करोड़ों में से एक होता है. ऐसे में अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मंजू बामनिया ने डॉक्टर स्नेहल कटुडिया और डॉक्टर हरीश सेजू की मदद से लीला का ऑपरेशन किया है.

8 महीने तक जीवित रहता है बच्चा
इस तरह के मामलों में मां की जान बचना भी बेहद मुश्किल होती है. ऐसे में बेहद बारीकी से ऑपरेशन को अंजाम देकर लीला की जान को बचाया गया. अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर मंजू बामनिया ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि अगर गर्भाशय के बाहर बच्चा ठहरता है और बच्चा 8 महीने तक जीवित रहता है, तो उसे एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी कहा जाता है.

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अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे की हो चुकी थी मौत
इस तरह के मामले भी लाखों में एक होते हैं और इसी के एक अन्य प्रकार, जिसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है, यह बेहद दुर्लभ और असामान्य प्रकार है. लीला का भी यही दुर्लभतम मामला था, जिसे समय रहते डॉक्टरों ने बचा लिया. हालांकि अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी. लेकिन बाड़मेर के चिकित्सकों ने मेहनत कर मां की जान को बचा लिया.

Tags: Ajab Gajab, Barmer news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

September 28, 2024, 14:43 IST

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