बसंत पंचमी के बाद बदल जाता है झारखंड का रंग! जमावड़ा लगाकर लोग गाते हैं ये गीत

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Agency:News18 Jharkhand

Last Updated:February 04, 2025, 22:26 IST

Hazaribagh Holi Fagua Songs: झारखंड और बिहार में बसंत पंचमी से होली तक फगुआ का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ फगुआ गीतों की गूंज रहती है. कलाकारों के लिए यह ख...और पढ़ें

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फगुआ 

फगुआ 

हाइलाइट्स

  • सरस्वती विसर्जन के बाद फगुआ गीतों की शुरुआत होती है.
  • झारखंड-बिहार में फगुआ का खास महत्व है.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में फगुआ का उत्साह अधिक देखने को मिलता है.

हजारीबाग. बसंत पंचमी की अवसर पर झारखंड बिहार में बेहद धूमधाम के साथ माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. माता की प्रतिमा विसर्जन होने के बाद से ही फगुआ की शुरुआत हो जाती है. जिसके बाद सभी लोग फगुआ का राग गाना शुरू कर देते हैं. लोग रंग, अबीर, गुलाल आदि खेलना शुरू कर देते हैं. ऐसे कहा जाए तो होली की शुरुआत भी माता के विसर्जन के साथ हो जाती है. जिसमें झारखंड बिहार का अधिकांश हिस्सा फगुआ के रंग में रंग जाता है.

फगुआ का सबसे अधिक उत्साह ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है जहां लोग साल भर फगुआ का इंतजार करते हैं. लोग सुबह और शाम के समय पारंपरिक वाद्य यंत्रों को लेकर फगुआ के गीत गाने के लिए बैठ जाते हैं. गांव के चबूतरो पर बसंत पंचमी से लेकर होली तक लोगों का जमावड़ा लगा रहता है. यह परंपरा सदियों से चला आ रहा है. फगुआ आने के बाद से कलाकारों का आय में भी काफी इजाफा होता है.

कलाकारों को रहता है इंतजार
हजारीबाग के भोजपुरी गायक सुधीर पांडे भी बताते हैं कि कलाकारों को फगुआ का विशेष कर साल भर इंतजार रहता है. फगुआ का असल आनंद ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है. यहां लोग मंडली बनाकर फगुआ के गीत गाते हैं. लेकिन शहरी क्षेत्र में लोग कलाकारों को बुलाकर फगुआ के गीतों का आनंद लेते हैं. कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन इस फगुआ में किया जाता है. लगभग 40 दिनों तक फगुआ गीतों का गायन करने वाले गायकों को फुर्सत नहीं मिलता है.

फगुआ का है खास महत्व
बिहार-झारखंड में फगुआ का खास महत्व है. बसंत पंचमी से लेकर होली तक चलने वाले इस फगुआ के महीने में लोग फगुआ गीतों के राग में सराबोर हो जाते हैं. लोग आपसी दुश्मनी को भूल कर होली की तैयारी करते हैं. यह ऐसा मौसम रहता है जब अधिकांश किसानों की गेहूं की बुवाई हो जाती है और किसान भी फुर्सत में रहते हैं. हाल के सालों में फगुआ का रंग थोड़ा कम हुआ है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह संस्कृति जिंदा है.

Location :

Hazaribagh,Jharkhand

First Published :

February 04, 2025, 22:26 IST

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