बहराइच हिंसा में 23 मकानों पर नहीं चलेगा बुलडोजर! मानवाधिकार आयोग पहुंचा केस

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प्रयागराजः बहराइच हिंसा के आरोपियों के मकानों पर बुलडोजर एक्शन के मामले में नया मोड आया है. केस अब मानव अधिकार आयोग की दहलीज तक पहुंच गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक वकील ने आयोग में केस दर्ज कराया है. उन्होंने आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है. बता दें कि, शुक्रवार की शाम 23 मकानों पर अतिक्रमण हटाने का नोटिस चस्पा किया गया था. जिसके बाद से लोगों में हड़कंप मच गया था. शनिवार सुबह से ही लोग घर खाली करने लगे थे.

बहराइच हिंसा के 23 आरोपियों के मकानों पर राजस्व विभाग ने अतिक्रमण की कार्रवाई करने का नोटिस चस्पा किया था. इसमें हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के अलावा महसी इलाके के 23 घरों में बुलडोजर चलाने की बात कही गई थी. मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है. उन्होंने मांग की है कि आरोपियों के घरों पर बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए. उनकी दलील है कि यह मानव अधिकारों का हनन है.

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नोटिस चस्पा होने के बाद लोगों में हड़कंप मच गया. शनिवार की सुबह लोगों ने खुद से ही अपना घर खाली करना शुरू कर दिया. इस नोटिस में लिखा गया है कि इसका जवाब नहीं दिया गया, तो पूरे घर को 2 दिन में ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में इन सभी के खिलाफ बुल्डोजर एक्शन होना तय माना जा रहा है. यह सभी इस हिंसा में शामिल आरोपियों के ही घर बताए जा रहे हैं. आरोपियों के घरों की नापई हुई है और उनसे वैध कागजात मांगे गए हैं.

नोटिस में दिया यह कारण
नोटिस के मुताबिक अवैध मकानों से कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. जिसकी वजह से इनके खिलाफ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद अधिवक्ता ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि इस तरह यदि अतिक्रमण हटाने की ही कार्रवाई की जानी है तो पूरे कस्बे में की जानी चाहिए. क्योंकि दुर्घटना कहीं भी हो सकती है केवल आरोपियों के घरों से ही दुर्घटना की संभावना नहीं है. इसके अलावा महसी क्षेत्र के तहसीलदार, एसडीएम और डीएम सहित सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय किए जाने की मांग की गई है. जिनकी लापरवाही की वजह से इस तरह अतिक्रमण कर यह मकान बनाये गए हैं.

मानव अधिकारों का हनन
वकील ने कहा कि अवैध मकानों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन हिंसा की घटना के तुरंत बाद केवल चुन- चुनकर आरोपियों के घरों को ही गिराने का नोटिस जारी कर कार्रवाई की जा रही है. यह कार्रवाई आरोपियों को संविधान में मिले मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों का हनन है. क्योंकि बिना सुनवाई या जांच कर किसी को दंगाई या अपराधी मानकर कार्यवाही करना सीधा- सीधा मानवाधिकारों पर चोट है. ऐसा करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है.

तत्काल लगाई जाए रोक
मांग की गई है कि आरोपियों के दोषसिद्ध होने तक या मकानों के अतिक्रमण को हटाने के संदर्भ में तय प्रक्रिया का पूरी तरह पालन कराए बिना कोई भी मकान नहीं गिराया जाना चाहिए. क्योंकि जिन मकानों को गिराने का आदेश हुआ है उनमें से बहुतों के बलबे में शामिल होने की संभावना भी कम है. यह ज्यादा संभावना है कि यह बाहरी भीड़ थी. अधिवक्ता ने आगे मांग की है कि मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर बुलडोजर एक्शन रोका जाए.

Tags: Allahabad news, Bahraich news, UP news

FIRST PUBLISHED :

October 20, 2024, 13:18 IST

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