बिछिया नदी और बघेल वंश से जुड़ा है रीवा के नाम का इतिहास, जानें दिलचस्प कहानी

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बिछिया नदी और बघेल वंश से जुड़ा है रीवा का इतिहासबिछिया नदी और बघेल वंश से जुड़ा है रीवा का इतिहास

रीवा: मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर, जिसे बघेल वंश के गौरवशाली इतिहास और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है. यह जिला न केवल अपने समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके नामकरण का संबंध भी स्थानीय भौगोलिक विशेषताओं और पवित्र नदियों से है. माना जाता है कि रीवा का नाम बिछिया नदी से लिया गया है, जो इस क्षेत्र की प्रमुख जलधारा है और शहर के बीचों-बीच बहती है.

रीवा का ऐतिहासिक महत्व
रीवा का इतिहास लगभग तीन सौ साल पहले से जुड़ा है, जब बघेल वंश के राजाओं ने यहाँ अपनी सत्ता स्थापित की. बघेल वंश, जो गुजरात के सोलंकी राजपूतों से निकला था, रीवा को अपनी राजधानी बनाया और यहीं से उन्होंने अपने विशाल राज्य का संचालन किया. रीवा रियासत का क्षेत्र वर्तमान मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्सों में फैला हुआ था. बघेल वंश के शासन के दौरान यह क्षेत्र न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि कला, संस्कृति और साहित्य का केंद्र भी बना रहा.

रीवा के इतिहास में कई महान शासकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. विक्रमादित्य के बाद भाव सिंह रीवा के महाराज बने और उन्होंने अपने शासनकाल में कई सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया. इनमें महामृत्युंजय मंदिर प्रमुख है, जो रीवा के किले के भीतर स्थित है. इसके बाद रघुराज सिंह, गुलाब सिंह, मार्तंड सिंह और पुष्पराज सिंह जैसे शासक रीवा के इतिहास में अपनी छाप छोड़ गए. वर्तमान में पुष्पराज सिंह रीवा के महाराज हैं.

रीवा की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थल
रीवा अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है. यह क्षेत्र कई झरनों, पहाड़ियों और नदियों से घिरा हुआ है. चचाई और बहुती जलप्रपात जैसे झरने इस क्षेत्र की प्राकृतिक धरोहर का एक हिस्सा हैं, जो इसे एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाते हैं. रीवा के किले और बाघेल संग्रहालय जैसे ऐतिहासिक स्थल इस शहर के समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं.

गोविंदगढ़, जो रीवा के राजा की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी, रीवा शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां के शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता ने इसे एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बना दिया है. इसके अलावा रानी तालाब, बाघेल संग्रहालय और रीवा का किला जैसे स्थल रीवा की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखते हैं.

रीवा की नदियाँ और जलप्रवाह
रीवा जिले की भौगोलिक स्थिति इसे कई नदियों का घर बनाती है. जिले की प्रमुख नदियाँ टोंस या तमसा और सोन नदी हैं, जो गंगा की सहायक नदियाँ हैं. इन नदियों के जल से जिले का वर्षा जल बहता है. इन नदियों के अलावा बिछिया नदी भी प्रमुख रूप से महत्वपूर्ण है, जो रीवा शहर के बीचों-बीच बहती है. बिछिया नदी को ही रीवा के नामकरण का आधार माना जाता है.

रीवा रियासत का विस्तार
रीवा, जिसे कभी बघेल वंश की राजधानी माना जाता था, मध्य भारत की एक महत्वपूर्ण रियासत थी. रीवा राज्य का विस्तार मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों तक फैला हुआ था. झांसी, टीकमगढ़, सतना, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर और शहडोल जैसे जिले भी कभी रीवा रियासत का हिस्सा हुआ करते थे. इस विशाल राज्य में कई छोटे-छोटे राजा शासन करते थे, जो रीवा राज्य के अधीन होते थे.

Tags: History of India, Local18, Rewa News, Rewa royal family

FIRST PUBLISHED :

October 22, 2024, 13:36 IST

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