किसान खेत पर ही बना रहे जैविक खाद और कीटनाशक दवा
बिलासपुरः बिलासपुर जिले के नगर पंचायत मल्हार के किसान जदुनंदन वर्मा कई सालों से जैविक खेती कर रहे हैं. जैविक खेती पूरी तरह से जैविक खाद पर निर्भर होता है. अपनी फसलों के लिए किसान जदुनंदन ने खुद जैविक खाद बनाने का फैसला लिया और आज खुद कई तरह के जैविक खाद बना रहे हैं. जिसे अपनाते हुए अपनी फसलों को पेस्टीसाइट्स मुक्त बनाया है. इससे न सिर्फ वे रासायनिक दवा पर खर्च होने वाले हजारों रुपए की बचत कर रहे हैं बल्कि समाज को भी सुरक्षित व सेहतमंद उपज दे पा रहे हैं. जिससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो रही है.
जदुनंदन वर्मा खुद ही कई प्रकार के जैविक खाद बना रहे हैं. वर्मी कम्पोस्ट, वर्मी वास लिक्विड, वेस्ट डिकंपोजर, वैम (माईकोराइजा बैक्टीरिया), जीव अमृत (लिक्विड), ताम्र युक्त छाछ जैसी फसलों के लिए बहुत ही उपयोगी खाद का बड़ी मात्रा में उत्पादन कर रहे हैं, जिससे फसलों की अच्छी खासी पैदावार हो रही है.
जदुनंदन वर्मा ने बताया कि वे पिछले कई सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और उसके लिए जैविक खाद भी वे खुद ही बनाते हैं. जिसके छिड़काव से फसलों की पैदावार अच्छी होती है. साथ ही उपजाऊ मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है. खेतों में रसायनिक कीटनाशक दवाइयों का उपयोग भी नहीं करना पड़ता है. जिससे फसलों के लागत में कमी आती है और पैदावार बढ़ जाती है तो अधिक मुनाफा होता है.
खाद के बारे में अधीक जानें…
(1) • केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है. यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है. वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है. तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं. वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है. इसमें 2.5 से 3% नाइट्रोजन, 1.5 से 2% सल्फर तथा 1.5 से 2% पोटाश पाया जाता है.
(2) • वर्मीवाश (Vermiwash) एक तरल जैविक खाद है जो ताजा वर्मीकम्पोस्ट व केंचुए के शरीर को धोकर तैयार किय जाता है. वर्मीवाश के उपयोग से न केवल उत्तम गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त कर सकते हैं बल्कि इसे प्राकृतिक जैव कीटनाशक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. वर्मीवाश में घुलनशील नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मुख्य पोषक तत्व होते हैं. इसके अलावा इसमें हार्मोन, अमीनो एसिड, विटामिन, एंजाइम, और कई उपयोगी सूक्ष्म जीव भी पाये जाते हैं. इसके प्रयोग से पच्चीस प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ जाता है.
(3) • सहजीवी कवक पौधों के लिए आस-पास से कुछ पोषक तत्वों को प्राप्त करने में काफी सहायक होते हैं. ऐसा ही एक प्रकार है वेसिकुलर आर्बस्कुलर माइकोराइजा. इसे आमतौर पर VAM के रूप में पहचाना जाता है. इस प्रकार का कवक बड़े पौधों के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध बनाता है जो प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं. कवक कुछ ऐसा प्रदान करता है जो यह पौधा प्राप्त नहीं कर सकता जबकि पौधा इसे पोषण देता है. इस लेख में, हम इस कवक की विशेष विशेषताओं और कृषि में इसके उपयोग का पता लगाएंगे.
(4) • जीवामृत एक जैविक खाद है, जिसे गोबर, पानी, और कई अन्य चीज़ों को मिलाकर बनाया जाता है. यह पौधों की वृद्धि और विकास के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है. जीवामृत में कई तरह के सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जो ज़मीन में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए इस्तेमाल योग्य बनाते हैं. यह महंगे खाद और कीटनाशकों की ज़रूरत को कम करता है. यह मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि बढ़ाता है. इससे पेड़-पौधों को कवक और जीवाणु से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है. यह नाइट्रोजन, पोटैशियम, और फ़ॉस्फ़ोरस जैसी चीज़ों से भरपूर होता है.
(5) • ताम्र युक्त छाछ वे छाछ में तांबे और लोहे के टुकड़े डाले जाते हैं जो क्रिया करते हैं. इसके साथ ही नीम की पत्ती भी छाछ में मिलाई जाती है जो कीटनाशक क्षमता को और बढ़ा देती है.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 14:09 IST