Darbhanga
अभिनव कुमार/ दरभंगा: जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित महनौली गांव, जो पिछले तीन दशकों से बाढ़ के कारण धान की फसल से महरूम था, इस साल एक नई उम्मीद के साथ उभरा है. 1987 के बाद पहली बार इस गांव में किसानों ने अच्छी धान की फसल उगाई है. पहले यहां बाढ़ का खतरा इतना ज्यादा था कि लोग फसल लगाने से भी डरते थे, लेकिन इस बार स्थितियां बेहतर हुईं और किसानों को राहत मिली.
बाढ़ से मुक्त इस वर्ष की फसल
हनुमाननगर प्रखंड के महनौली गांव के स्थानीय किसान उपेन्द्र सहनी ने बताया कि 1987 के बाद यह पहला अवसर है जब उन्होंने धान की फसल उगाई है. सहनी ने कहा कि बाढ़ के कारण पहले लोग धान की खेती नहीं करते थे, क्योंकि बाढ़ के दौरान तैयार फसलें बह जाती थीं. लेकिन इस वर्ष एम्स निर्माण के कारण इलाके में बेहतर बाढ़ नियंत्रण उपाय किए गए थे, जिससे धान की फसल सुरक्षित रह पाई.
किसानों ने इस साल 40 कट्ठा में धान की खेती की और फसल अच्छी हुई. सहनी ने बताया, “इस बार बाढ़ का खतरा पहले के मुकाबले कम हुआ है और बारिश भी कम हुई है. इस वर्ष की फसल में प्रति बीघा 10 हजार रुपये की लागत आई थी और अच्छे उत्पादन की उम्मीद है. अगले साल हम अपनी खेती और बढ़ाएंगे.
बाढ़ का डर अभी भी मौजूद
हालांकि, महनौली गांव के अधिकांश किसान अभी भी बाढ़ के डर से धान की खेती करने से हिचकते हैं. उन्हें डर है कि यदि बाढ़ आ गई तो उनकी मेहनत और निवेश का नुकसान हो जाएगा. कई बार किसानों ने धान की फसल उगाई, लेकिन बाढ़ के पानी में फसल बह गई और उनकी मेहनत बेकार हो गई.
इस वर्ष के बेहतर अनुभव के बावजूद, कई किसान अब भी डरते हैं कि बाढ़ का खतरा कभी भी आ सकता है. हालांकि, कुछ किसानों ने इस साल धान की खेती करके बाढ़ से बचने की उम्मीद जताई है.
संभव हो सकता है इलाके में खेती का विस्तार
महनौली गांव के किसान अब उम्मीद कर रहे हैं कि अगर अगले साल भी बाढ़ की स्थिति नियंत्रण में रही तो इस इलाके में कृषि गतिविधियां और बढ़ सकती हैं. इसके साथ ही, किसानों का मानना है कि बेहतर बाढ़ प्रबंधन के कारण यहां की खेती को नई दिशा मिल सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 21:32 IST