भगवान शिव के इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है रोजाना, मन को मिलती है शांति 

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Lord Shiva Puja: देवों के देव महादेव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. कहते हैं महादेव अगर अपनी कृपा बरसा दें तो जातक का जीवन खुशहाली और सफलता से भर जाता है. साथ ही, मन की शांति के लिए भी भगवान शिव की पूजा की जा सकती है. मान्यतानुसार भगवान शिव की पूजा में कुछ मंत्रों (Shiv Mantra) का जाप करना बेहद शुभ होता है. ये मंत्र मन को सुकून देते हैं और इनका जाप करने से शांति का आभास होने लगता है. यहां जानिए कौनसे हैं ये मंत्र जिनसे आप भी अपने दिन की शुरुआत कर सकते हैं. 

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भगवान शिव के मंत्र | Lord Shiva Mantra 

  • नम: शिवाय
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
  • करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा । श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं । विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व । जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥
  • ॐ नमो भगवते रुद्राये।।
  • ॐ हौं जूं सः ।।
  • श्री महेश्वराय नम:।।
  • श्री सांबसदाशिवाय नम:।।
  • श्री रुद्राय नम:।।
  • ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:।।

महादेव के मंत्रों का जाप करने के फायदे 

भोलेनाथ (Lord Shiva) के मंत्रों का जाप करने पर बौद्धिक क्षमता बढ़ने लगती है. मोह और माया से व्यक्ति दूर रहता है. कहते हैं शिव मंत्रों के जाप से जातक का मृत्यु का भय भी हट जाता है. इससे सत्य और ज्ञान की राह पर भी व्यक्ति चलने लगता है. भगवान शिव के ध्यान मंत्र का जाप करने पर सफलता मिलती है. इससे जीवन में आने वाली कठिनाइयां भी दूर होती हैं. ऐसे में रोजाना भगवान शिव को नमन करने के लिए इन मंत्रों का रोजाना जाप किया जा सकता है. 

भगवान शिव की आरती 

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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