लखनऊः उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. स्थिति स्पष्ट हो गई है, भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज कर ली है. इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान हुआ है. केवल करहल और सीसामऊ विधानसभा सीट छोड़ दें तो बाकी सभी सीटों पर सपा को करारी हार मिली है. जिस सीट पर बीते 31 व 33 वर्षों से बीजेपी नहीं जीती थी, वहां भी इस उपचुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल की है, जिसमें कटेहरी और कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल है. पार्टी की इस बड़ी हार से अखिलेश यादव बैकफुट पर हैं. क्योंकि वो जिस जीत की उम्मीद से 2027 की तैयारी में थे, वो तैयारी धरी की धरी रह गई.
बीजेपी के नारे का तोड़ नहीं निकाल पायी सपा
उपचुनाव के दौरान बीजेपी ने एक नारा दिया, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’. इस नारे के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने एक के बाद एक नारे दिए. लेकिन एक भी नारा काम नहीं आया. यूपी के उपचुनाव में बीजेपी के इस नारे ने अपना काम बखूबी किया है. बीजेपी के नारे का काट ढूंढते हुए समाजवादी पार्टी ने नारा दिया, ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे.’ यह नारा देवरिया जिले के समाजवादी पार्टी नेता और प्रदेश सचिव विजय प्रताप यादव ने दिया था.
एक के बाद एक सपा ने दिए थे नारे
इसके अलावा सपा ने कई इलाकों में ‘सताइस का सत्ताधीश’ पोस्टर चिपकाया था. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बीजेपी के इस नारे पर ट्वीट करते हुए कहा था, ‘नकारात्मक नारा, उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है. जिनका नजरिया जैसा, उनका नारा वैसा है.’ इसके अलावा सपा ने एक और नारा दिया, ‘ना बटेंगे न कटेंगे, पीडीए के संग रहेंगे.’ सपा ने एक और नारा दिया था, ‘मठाधीश बांटेंगे और काटेंगे, पीडीए जोड़ेगी और जीतेगी.’ इसके अलावा सपा नेता अभिषेक बाजपेई की तरफ से एक पोस्टर लगाया गया, जिसपर लिखा था, ‘अली भी हैं, बजरंगबली भी हैं, संग पीडीए की एकता की टोली भी है, जिसे देख विरोधियों में मच गई खलबली भी है.’
इंडिया गठबंधन का नहीं दिखा असर
भले ही कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव में सपा को सपोर्ट करने का वादा किया, लेकिन कहीं कुछ असर नहीं दिखा और ना ही कोई बड़ा नेता नजर आया. दरअसल, शुरू में ही कांग्रेस-सपा के बीच खटास पैदा हो गई थी. क्योंकि कांग्रेस ने जो सीट सपा से मांगे, उसपर सपा ने पहले ही अपने उम्मीदवार उतार दिए, जिससे कांग्रेस नाराज हो गई और अपने आप को पूरी तरह से उपचुनाव से बाहर कर लिया. उपचुनाव के दौरान राहुल गांधी बरेली भी आए लेकिन अखिलेश यादव से कोई मुलाकात नहीं हुई. कांग्रेस ने उपचुनाव में मेहनत दिखाने की कोशिश की. लेकिन दिख नहीं पाया. क्योंकि प्रदेश नेतृत्व के बड़े नेता वायनाड और महाराष्ट्र चले गए प्रचार करने.
किस सीट से धोना पड़ा हाथ
समाजवादी पार्टी उन सीटों को भी नहीं बचा पायी, जहां उसका कब्जा था. चाहे वो कुंदरकी हो या फिर कटेहरी. इन दोनों ही सीटों पर भाजपा तीन दशक से जीती नहीं थी. लेकिन इस बार के उपचुनाव में जीत हासिल कर ली. करहल में सपा शुरू से ही आगे थी, क्योंकि वो सपा का गढ़ है. लेकिन इसके अलावा सपा का जादू ना तो कटेहरी में चला, ना कुंदरकी में और ना ही मझवां में.
बाबा के मैनेजमेंट के आगे बबुआ का प्लान फेल
ये कहने में बिल्कुल ही गुरेज नहीं करना चाहिए कि यूपी उपचुनाव की जीत सीएम योगी आदित्यनाथ की जीत है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद सीएम योगी ने उपचुनाव की जिम्मेदारी खुद के हाथों में ली और पूरा मैनेजमेंट संभाला. किसको टिकट दिया जाएगा, कौन मंत्री किस सीट पर प्रचार करेगा, कौन स्टार प्रचारक होगा, ये सबकुछ सीएम योगी ने तय किया. सीएम योगी लोकसभा चुनाव वाली गलती दोहराने नहीं देना चाहते थे. क्योंकि लोकसभा चुनाव की हार से उनकी छवि पर भी एक डेंट लगा है, ये किसी से छिपा नहीं है और यही वजह है कि सीएम योगी ने खुद सबकुछ मैनेज किया और अखिलेश यादव के हर प्लान को फेल कर दिया.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 11:36 IST