Last Updated:February 12, 2025, 17:33 IST
Lumpy Skin Disease Vaccine: दुनिया में पहली बार भारत ने लंपी स्किन डिजीज की वैक्सीन को डेवलप कर लिया है. लंपी स्किन डिजीज के कारण भारत में पिछले दो साल में ही 2 लाख मवेशियों की मौत की आशंका है.
![भारत बायोटेक ने बनाई दुनिया की पहली लंपी डिजीज वैक्सीन, जल्दी ही ICMR की मंजूर भारत बायोटेक ने बनाई दुनिया की पहली लंपी डिजीज वैक्सीन, जल्दी ही ICMR की मंजूर](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/Lumpy-skin-disease-Vaccine-2025-02-d45dddfb7069a7fc2f541a581a328610.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
लंपी स्किन डिजीज के लिए वैक्सीन. canva
Lumpy Skin Disease Vaccine: पिछले कुछ सालों से मवेशियों में लंपी वायरस का काफी प्रकोप रहा है. यह गाय, भैस की स्किन में होने वाली बीमारी है जिसके कारण हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में काफी तबाही भी हुई है. अब भारत में लंपी डिजीज के लिए दुनिया में पहली बार वैक्सीन तैयार हो गई है. भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की मदद से लंपी डिजीज की वैक्सीन तैयार कर ली है. इसे ड्रग कंट्रोलर ऑथोरिटी ने मंजूरी भी दे दी है. इस वैक्सीन का नाम BIOLUMPIVAXIN बायोलंपी वैक्सीन रखा गया है. सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने इसे मंजूरी भी दे दी है.
2019 से 2 लाख मवेशियों की मौत
लंपी स्किन डिजीज के लिए दुनिया में पहला टीका भारत बायोटेक ने बनाया है. लंपी स्किन डिजीज एशियाई भैंस में होती है जो एक कीड़ा के काटने से होता है. इस बीमारी के हो जाने के बाद मवेशियों में दूध बहुत कम हो जाता है जिससे किसानों को बहुत नुकसान होता है. 2019 में भारत के ओडिशा में लंपी डिजीज का पहला केस आया था. तब से अब तक यह देश के 20 राज्यों में फैल चुका है. इससे देश के 30 करोड़ मवेशियों और मुख्य रूप से भैंसों पर खतरा मंडराने लगा है. लंपी डिजीज के कारण सिर्फ 2 सालों के अंदर 2 लाख के करीब मवेशियों की मौ हो चुकी है. वहीं लाखों मवेशियों में दूध का उत्पादन कम हो गया है. भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. यहां दुनिया का 22 प्रतिशत दूध का उत्पादन होता है. इसके बाद यूरोपीय देशों में और अमेरिका का नंबर है.
गुणवत्ता और सेफ्टी में पास
इस वैक्सीन की गुणवत्ता, सेफ्टी और प्रभावकारिता को लेकर नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विनेस हिसार और इंडिय वेटरीनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पूरी तरह से टेस्ट कर लिया और इसे वैश्विक मानदंडों के अनुरुप पाया है. इस देसी वैक्सीन को एलएसडी वायरस रांची 2019 स्ट्रैन को खत्म करने के लिए बनाया गया है. भारत बायोटेक ग्रुप के फाउंडर डॉ. कृष्णा एलिया ने बताया कि सीडीएससीओ द्वारा इस वैक्सीन को लाइसेंस दिए जाने आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम है. वहीं मवेशियों की हेल्थ की दिशा में बड़ा कदम है. इससे मवेशियों के लिए हमें बाहर से वैक्सीन मंगाने की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन बहुत जल्द बाजार में उपलब्ध होगी. इसे फ्रीज और ड्राइड फॉर्म में उपलब्ध कराया जाएगा. इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है.
कहां से शुरू हुई लंपी वायरस डिजीज
इस बीमारी की शुरुआत जांबिया में 1929 में हुई जो धीरे-धीरे पूरे अफ्रीका में फैल गई. इसके बाद मिडिल ईस्ट से होते हुए दक्षिण पूर्व यूरोप में आई और वहां से मध्य एशिया में फैला. यह पिछले कुछ ही वर्षों में दक्षिण एशिया और चीन में आई है.
लंपी डिजीज के लक्षण
इस बीमारी में मवेशियों की स्किन सूजने लगती है. नसें फूलने लगती है. आंख और नाक से डिस्चार्ज होने लगता है. मवेशी खाना छोड़ देता है. वह डिप्रेशन में चला जाता है. बुखार भी आ जाता है. दूध में कमी हो जाती. यदि पेट में बच्चा है तो गर्भपात हो सकता है. अधिकांश केस में मवेशियों की मौत हो जाती है.
First Published :
February 12, 2025, 17:33 IST