नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बीते दिनों चेन्नई के 'लॉटरी किंग' सैंटियागो मार्टिन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी.ED ने देश के कई राज्यों में सैंटियागो मार्टिन के ठिकानों पर छापेमारी की.खास बात ये है कि मार्टिन राजनीतिक दलों को 1300 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड के साथ चंदा देने वाला सबसे बड़े दानकर्ताओं में से एक रहा है. मार्टिन के खिलाफ ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की गई है.ईडी ने पिछले साल मार्टिन के खिलाफ केरल में राज्य लॉटरी की धोखाधड़ी से बिक्री करके सिक्किम सरकार को 900 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े एक मामले में लगभग 457 करोड़ की संपत्ति कुर्क की थी. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर सैंटियागो मार्टिन है कौन?
1300 करोड़ का चुनावी बॉन्ड खरीदा
आपको बता दें कि सिक्किम लॉटरी की प्रमुख वितरक मार्टिन की कंपनी फ्यूचर 'गेमिंग सॉल्यूशन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड'है. खास बात ये है कि ईडी 2019 से मार्टिन के खिलाफ जांच कर रही है. कुछ महीने पहले जब चुनावी बॉन्ड खरीदने का डेटा बाहर आया तो पता चला था कि मार्टिन ने 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को 1300 करोड़ रुपये का चंदा दिया था. मार्टिन की कंपनी चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली सबसे बड़ी कंपनी थी.
सिक्किम सरकार ने किया था धोखाधड़ी
लॉटरी किंग के नाम से मशहूर मार्टिन सबसे पहली बार 2008 में सुर्खियों में आए थे. उस दौरान उनके ऊपर सिक्किम सरकार से 4500 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगा था. इसके बाद उस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी.2011 में पहली बार मार्टिन के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. उसके बाद से कई बार मार्टिन के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है.
लॉटरी से शुरू किया था ऑनलाइन गेमिंग का बिजनेस
मार्टिन के बारे में कहा जाता है कि उसने ऑनलाइन गेमिंग बिजनेस लॉटरी से ही शुरू किया था. इसके बाद वह ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ लॉटरी ट्रेंड एंड अलाइड इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष भी बना. उसने फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस इंडिया पाइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और लॉटरी के अलावा ऑनलाइन गेमिंग कारोबार भी शुरू किया. बताया जाता है कि धीरे-धीरे उसने कैसीनो और स्पोर्ट्स सट्टेबाजी में भी एंट्री की. उसकी ये कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्टेड नहीं है.
पहले कर चुका है मजदूरी
सैंटियागो मार्टिन लॉटरी की दुनिया का बेताज बादशाह बनने के से पहले एक मजदूर के तौर पर काम करता था. उसने म्यांमार के यांगून में मजदूरी भी की है. 1988 में वह म्यांमार से भारत वापस आया था. भारत लौटने के बाद उसने तमिलनाडु में लॉटरी बेचने का काम शुरू किया था. लॉटरी बेचने के साथ-साथ उसका बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा. उसके बाद उसने अपने कारोबार को देश के राज्यों तक फैलाया औऱ देखते हुए लॉटरी किंग के नाम से जाना जाने लगा.