नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा की आग में अब भाजपा सरकार झुलसती नजर आ रही है. मणिपुर में बीजेपी के अंदरूनी कलह उस वक्त और बढ़ गए, जब कई विधायकों ने मुख्यमंत्री की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. जी हां, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष से निपटने के तरीके को लेकर सीएम एन बीरेन सिंह बैकफुट पर हैं. इसी बीच बीजेपी की मणिपुर इकाई में दरार मंगलवार को और गहरी हो गई. 37 में से 19 बीजेपी विधायकों ने पिछली रात यानी मंगलवार को हुई एनडीए की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. इन विधायकों में दोनों समुदायों के नेता शामिल थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस एनडीए की बैठक में ‘कुकी उग्रवादियों’ के खिलाफ पूरी ताकत से कार्रवाई करने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इन उग्रवादियों पर जिरीबाम में विस्थापितों के लिए बने एक शेल्टर में छह मैतेई कैदियों की हत्या का संदेह है. ऐसी खबरें हैं कि सीएम सचिवालय ने बैठक से गायब रहने के लिए 11 एनडीए सदस्यों को नोटिस भेजा है. इन सदस्यों में मंत्री भी शामिल हैं. हालांकि, इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
इस बीच सीएम बीरेन सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी कर लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि वह बिना किसी समुदाय के भेदभाव के लोगों की रक्षा करेंगे. हिंसा के ताजा दौर पर उचित कदम उठाने के लिए बीजेपी और उसके सहयोगियों के सभी विधायकों को रविवार को बैठक के लिए पत्र भेजे गए थे. इससे कुछ घंटे पहले ही मेघालय के सीएम कोनराड संगमा की पार्टी एनपीपी ने एनडीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. एनपीपी ने कहा था कि सीएम संकट को हल करने में विफल रहे हैं. इसके बाद भाजपा सरकार पर संकट के बादल मंडरा गए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 06:26 IST