हाइलाइट्स
ये दोनों योद्धा धृतराष्ट्र से भी कहीं पहले पैदा हो गए थेइन दोनों योद्धाओं की मृत्यु महाभारत युद्ध या उसके आसपास हुईपांडवों ने युद्ध के बाद हस्तिनापुर पर करीब 36 सालों तक राज किया
महाभारत में दो योद्धाओं ने सबसे लंबी जिंदगी जी. इनकी जिंदगी इतनी लंबी थी कि उन्होंने अपनी जिंदगी में तीन पूरी पीढ़ियों को पैदा होते और खत्म होते देखा. चौथी पीढ़ी भी उनके सामने जवान हो रही थी. ये दोनों योद्धा महाभारत के महान योद्धा थे. इनकी लंबी जिंदगी का आखिर राज क्या था. इनका खाना पीना या कुछ और. इसमें कृष्ण को शामिल नहीं किया गया है.
इन्होंने 100 सालों से ऊपर की जिंदगी जी. पुख्ता तौर पर उनकी कुल उम्र क्या थी, ये हम आगे बताएंगे लेकिन उनकी इस लंबी उम्र का रहस्य आध्यात्मिकता, दैवीय आर्शीवाद, अनुशासन, योग और खानपान से जुड़ा हुआ है. आज भी दुनिया में तमाम लोग आध्यात्मिकता, योग, खानपान और अनुशासन के जरिए 100 सालों से ऊपर का जीवन जी रहे हैं. हम आपको ये भी बताएंगे कि महाभारत में उनके अलावा अन्य खास योद्धा और पांडवों ने कितनी लंबी आयु पाई.
कौन थे ये दो महान योद्धा
आइए पहले जान लेते हैं कि ये दो महान योद्धा कौन थे, जिन्होंने उस दौर में सबसे लंबा जीवन जिया. ये थे द्रोणाचार्य और भीष्म. दोनों की उम्र 120 साल के आसपास थी. दोनों शायद और लंबा जीते, अगर वो महाभारत के युद्ध में मारे नहीं गए होते. हालांकि भीष्म को तो इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था. लिहाजा उन्होंने महाभारत के युद्ध में बुरी तरह घायल होने के बाद लड़ाई खत्म होने के करीब 20 दिन बाद प्राण त्यागे.
क्या था लंबी जिंदगी का रहस्य
महाभारत में भीष्म और द्रोणाचार्य जैसे पात्रों की दीर्घायु के पीछे कई वजहें थीं. जो खासतौर पर उनकी जीवनशैली से ज्यादा जुड़ी थीं. द्रोणाचार्य की लंबी जिंदगी का रहस्य उनके योग, एक्सरसाइज, युद्ध कलाओं का अभ्यास और पवित्र शिक्षक की जिंदगी में था. भीष्म के बारे में महाभारत और शास्त्रों में ये कहा गया कि उनकी आयु 110 से 120 सालों के बीच थी.
द्रोणाचार्य की लंबी जिंदगी का रहस्य उनके योग, एक्सरसाइज, युद्ध कलाओं का अभ्यास और पवित्र शिक्षक की जिंदगी में था.
दोनों योद्धाओं ने ताजिंदगी कड़े अभ्यास वाला जीवन जिया. दोनों ने अपने कर्तव्यों का पालन किया. उनका जीवन कड़ी अनुशासित जीवन शैली वाला था. द्रोणाचार्य मार्शल आर्ट के मास्टर और एक समर्पित शिक्षक थे, जिसने उनकी शारीरिक फिटनेस और मानसिक पैनेपन में योगदान दिया. उनके जीवन में भी संतुलित पोषण शामिल था.
भीष्म की जीवनशैली तपस्वियों वाली थी
भीष्म की तपस्वी जीवनशैली ने भी वर्षों तक उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस युग में आहार संबंधी आदतों पर भी काफी जोर दिया जाता था. आहार प्रथाएं प्राकृतिक और पौष्टिक खाद्य पदार्थों पर जोर देने वाली थीं, जिनके बारे में माना जाता था कि वे स्वास्थ्य और दीर्घायु को बढ़ावा देती हैं. भीष्म की आजीवन ब्रह्मचर्य की भी प्रतिज्ञा की हुई थी.
रोजाना आध्यात्मिक अभ्यास
दोनों ही रोजाना के जीवन में आध्यात्मिक अभ्यास करते थे, जो उनके शरीर को निरोग रखता था. महाभारत युग को अक्सर ऐसे युग के रूप में माना जाता है, जहां लोग कम प्रदूषण, स्वस्थ रहने की स्थिति और मानसिक और शारीरिक अनुशासन पर ज़ोर देने के कारण लंबा जीवन जी सकते थे. ये कहा जाता है कि उस समय के लोग 100 साल की उम्र में भी उतने ही स्वस्थ हो सकते थे, जितने आज 70 साल के लोग हैं.
भीष्म की तपस्वी जीवनशैली ने भी वर्षों तक उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. (Image generated by Leonardo AI)
इनसे ज्यादा लंबे समय जीवन भी किसी ने जिया
महाभारत महाकाव्य के लेखक और ऋषि व्यास के बारे में माना जाता है कि वो इससे भी अधिक समय तक जीवित रहे. उनकी उम्र शायद 130 वर्ष की थी. व्यास की मां भी सत्यवती थीं और पिता ऋषि पाराशर. उनके जन्म की एक अलग कहानी है.
क्या खाते पीते थे भीष्म
महाभारत से संबंधित जानकारी देने वाली किताबें कहती हैं कि भीष्म ने शायद ताजिंदगी सात्विक आहार का पालन किया, जिसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, मेवे और घी और दूध जैसे डेयरी उत्पाद शामिल हैं. प्राचीन ग्रंथों में आहार में संयम के सिद्धांतों पर जोर दिया गया था. भीष्म ने संयम से भोजन करने का अभ्यास किया होगा. अधिक खाने से परहेज किया होगा, जो स्वास्थ्य को बनाए रखने और ज्यादा खाने से जुड़ी जुड़ी बीमारियों को रोकने के मामलों में अहम माना जाता है. किताबें कहती हैं कि भीष्म अनुष्ठान के अलावा खानपान में मांस के सेवन के पक्ष में नहीं थे.
पांडवों की उम्र कितनी थी
क्या आप जानते हैं कि महाभारत के दूसरे प्रमुख योद्धाओं और पांडवों की उम्र कितनी थी. महाभारत के पांडवों की उम्र का सटीक वर्णन कहीं उपलब्ध नहीं है,लेकिन विभिन्न स्रोतों और घटनाओं के आधार पर इसका अनुमान लगाया जा सकता है.
युधिष्ठिर पांडवों में सबसे बड़े थे. उनकी उम्र का अनुमान लगभग 90-100 वर्ष तक का लगाया गया है. युधिष्ठिर के बाद भीम की उम्र थी. उनकी उम्र युधिष्ठिर से 1-2 वर्ष कम मानी जाती है.अर्जुन पांडवों में तीसरे नंबर पर थे. वह युधिष्ठिर से लगभग 3-4 साल छोटे हो सकते हैं. नकुल और सहदेव जुड़वां थे. दोनों अर्जुन से करीब 10-15 वर्ष छोटे थे. महाभारत युद्ध के समय युधिष्ठिर की उम्र लगभग 70-75 वर्ष मानी जाती है.
ये माना जाता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों ने 36 वर्षों तक हस्तिनापुर पर शासन किया. उसके बाद सब कुछ छोड़कर स्वर्ग जाने का फैसला लिया.
धृतराष्ट्र कितना लंबा जिये
धृतराष्ट्र का जन्म महाराज विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद महर्षि वेदव्यास के द्वारा नियोग प्रक्रिया से हुआ. वह पांडु और विदुर के बड़े भाई थे. महाभारत युद्ध के समय धृतराष्ट्र की आयु करीब 90-100 वर्ष मानी जाती है. ये बात इस तथ्य पर आधारित है कि दुर्योधन और उनके भाई-बहनों की उम्र युद्ध के समय लगभग 50-60 वर्ष थी.
महाभारत युद्ध के बाद, धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती ने 15 वर्ष तक हस्तिनापुर में निवास किया. फिर वो वनवास पर चले गए. फिर करीब 2-3 वर्षों के बाद (महाभारत के अनुसार) जंगल में एक अग्निकांड में उनकी मृत्यु हो गई.
महाभारत में कितना लंबा होता था एक साल
महाभारत के युग में वर्ष की अवधारणा चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित थी। इसका मतलब है कि एक वर्ष की गणना आमतौर पर चंद्र और सौर चक्र दोनों के अनुसार की जाती थी.
चंद्र वर्ष: चंद्र वर्ष में लगभग 354 दिन होते थे, जो बारह चंद्र महीनों पर आधारित होते थे, जिनमें से प्रत्येक औसत करीब 29.5 दिन के होते थे. चंद्र कैलेंडर को सौर वर्ष के साथ जोड़ने के लिए समय-समय पर अतिरिक्त महीने (अधिक मास) जोड़े जाते थे.
सौर वर्ष: सौर वर्ष लगभग 365.25 दिन लंबा होता है. चंद्र और सौर वर्षों के बीच के अंतरों को समेटने के लिए, प्राचीन भारतीय कैलेंडर में समायोजन शामिल किए गए, जैसे कि हर कुछ वर्षों में एक अतिरिक्त महीना जोड़ना.
ऐतिहासिक गणनाओं के अनुसार, चंद्र कैलेंडर को सौर चक्र के साथ तालमेल रखने के लिए हर पांच साल में दो अतिरिक्त महीने जोड़े जाते थे. इसका मतलब है कि पांच साल की अवधि में, दोनों प्रणालियों के बीच विसंगति को ध्यान में रखते हुए लगभग 12 अतिरिक्त दिन जोड़े जाएंगे.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 13:04 IST