मात्र 125 दिन में तैयार हो जाएगी गेंहू की ये फसल, जानिए खेती कैसे करें खेती

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गेहूं

गेहूं की यह खास किस्म

जमुई:- रबी के सीजन में गेहूं की फसल की बुवाई की जाती है. फसल की बुवाई के बाद किसानों को 145 से 160 दिनों तक का इंतजार करना पड़ता है. लेकिन इसके बाद गेहूं की फसल पककर तैयार होती है. लेकिन आज हम आपको गेहूं के एक ऐसे किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लगाने के बाद आपको इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और केवल 125 दिनों के अंदर आपकी यह फसल पककर तैयार हो जाएगी और बाकी सामान्य प्रजातियों से उपज में भी यह काफी बेहतर होगी.

कृषि अनुसंधान परिषद लाई है यह नस्ल
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-IARI) ने किसानों के लिए रबी सीजन की तैयारी के तहत एक नई गेहूं किस्म एचडी 3388 (Wheat HD 3388) पेश की है, जो मात्र 125 दिनों में तैयार हो जाती है. यह किस्म किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि पारंपरिक किस्मों के मुकाबले इसकी फसल बहुत तेजी से तैयार होती है. आमतौर पर गेहूं की फसल को तैयार होने में 145 से 160 दिन का समय लगता है, लेकिन एचडी 3388 किस्म 125 दिनों में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसका मतलब है कि किसान कम समय में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं, जिससे न सिर्फ उनकी लागत घटेगी, बल्कि बाजार में जल्दी फसल बेचने का भी फायदा मिलेगा.

बाकी गेहूं की किस्म से काफी बेहतर है गेहूं की यह नस्ल
कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि यह नई किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है. ICAR-IARI के अनुसार एचडी 3388 किस्म अत्यधिक गर्मी को झेलने में सक्षम है और इसकी प्रति हेक्टेयर उपज लगभग 52 क्विंटल तक हो सकती है, जो अन्य गेहूं किस्मों के मुकाबले काफी बेहतर है. इस किस्म को अच्छी सिंचाई वाली जमीनों में बुवाई के लिए सुझाया गया है, क्योंकि हालांकि यह कम पानी में भी उगाई जा सकती है. लेकिन समय पर पानी न मिलने से पौधे की वृद्धि पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा इस किस्म की फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है, जिससे खेती में कीटनाशकों और अन्य रसायनों का कम उपयोग करना पड़ता है, जिससे किसानों की उत्पादन लागत में भी कमी आती है.

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काफी स्वादिष्ट होती है इस गेहूं से बनी रोटी
कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ने Local 18 को बताया कि एचडी 3388 से बनी रोटी स्वादिष्ट होती है, जिससे इसकी बाजार में मांग भी अधिक रहने की संभावना है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस किस्म के आटे की गुणवत्ता इसे उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बना देगी. किसान इस किस्म के बीज पूसा नई दिल्ली, नेशनल सीड कॉरपोरेशन (NSC) और स्थानीय किसान विज्ञान केंद्रों से प्राप्त कर सकते हैं. कुल मिलाकर, 125 दिनों में तैयार होने वाली यह नई किस्म किसानों के लिए न केवल कम समय में ज्यादा उत्पादन का साधन बनेगी, बल्कि फसल की गुणवत्ता और स्वाद के चलते उनकी आय में भी इजाफा करेगी.

Tags: Agriculture, Bihar News, Jamui news, Local18

FIRST PUBLISHED :

October 12, 2024, 23:16 IST

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