चंडीगढ़ः जिस जीत को लेकर कांग्रेस के तमाम नेताओं सहित राहुल गांधी आश्वस्त थे, वो हार में तब्दील हो गई. हरियाणा की हार को कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने सहोयगी दलों के सामने कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है. शायद यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी के आलाकमान द्वारा मीटिंग की जा रही थी तब राहुल गांधी का हाव-भाव बिल्कुल बदला हुआ था. मीटिंग के शुरुआत में राहुल गांधी बिल्कुल चुप थे और जब उनके बोलने की बारी आई तो अपनी प्रतिक्रिया देकर बैठक से बाहर निकल आए. राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा अपने आवास पर बुलाई गई समीक्षा बैठक में पहुंचे हुए थे. इसमें अजय माकन, अशोक गहलोत, दीपक बाबरिया और केसी वेणुगोपाल जैसे पर्यवेक्षक भी मौजूद थे.
सूत्रों का कहना है कि गांधी काफी हद तक शांत थे, लेकिन जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने दो मजबूत बातें कहीं एक, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और चुनाव आयोग (ईसी) को बहुत कुछ जवाब देना है और वह इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट चाहते थे कि गिनती के मामले में क्या गलत हुआ. दूसरा यह कि पार्टी के नेता इस पूरे चुनाव में पार्टी को सेकेंड नंबर पर रखकर खुद के लिए चुनाव लड़ रहे थे.
जब उन्होंने कहा कि यह ऐसा चुनाव था जिसे जीता जा सकता था, लेकिन स्थानीय नेताओं को पार्टी की बजाय अपनी प्रगति में अधिक रुचि थी. जब अधिकांश लोग ईवीएम को दोष देते रहे तो गांधी नाराज हो गए. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह विवरण चाहते हैं, लेकिन उनके अनुसार, मुद्दा यह था कि नेता “आपस में लड़ते थे और पार्टी के बारे में नहीं सोचते थे”. यह कहकर गांधी जी उठे और चले गये.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 11:48 IST