ग्रामीणों ने बना डाला जुगारु नाव, जिससे गांव के लोगो कों होता है फायदा
रिपोर्ट- पुष्पराज
मुंगेर: बिहार के कई इलाकों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. अस्पताल से लेकर स्कूल तक तालाब बन गए हैं. इस बीच गई गांवो का तो अपने मुख्यालय से संपर्क भी टूट गया है. लोग आने-जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं. इन सबके बीच सरकार और प्रशासन की भारी लापरवाही भी देखने को मिली है. कई इलाकों में तो कोई अभी तक सरकारी मदद तक नहीं पहुंची और ना ही मेडिकल टीम पहुंची है. लोग खुद से जुगाड़ू नाव बनाकर अपना काम कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही नजारा मुंगेर के इटाहरी गांव में देखने को मिला. यहां कुछ युवकों ने मिलकर एक जुगाड़ नाव बनाया है. इस नाव के सहारे ही गांव के लोग हैं. जुगाड़ से बनी नाव इस्तेमाल करने पर हमेशा खतरा बना रहता है. लोग बाजार से सामान लाने और जरुरी काम पड़ने पर इस नाव का सहारा लेते हैं.
वहां के लोग कब तक सरकारी मदद का इंतजार करते तो उन्होंने अपने लिए नाव बना डाली. इटहरी गांव के कुछ युवकों ने थर्मकोल से इस जुगाडू नाव को तैयार किया है. युवक बताते हैं कि गांव के चारों तरफ पानी आ चुका है. पूरा गांव एक तरह से टापू बन गया हैं. लोग किसी तरह से जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन इस स्तिथि में कभी भी कोई जरुरी काम पड़ सकता है. सरकारी नाव चलती भी है तो वह एक निश्चित समय पर चलती है. वह नाव कभी उपलब्ध होती है और कभी नहीं भी होती. इसीलिए थर्मकोल से इस नाव को तैयार किया गया है.
हालांकि, इस तरह से नाव बनाना और फिर पानी में चलाना और उस पर बैठ कर सफर करना जोखिम भरा है लेकिन कहते हैं न मज़बूरी इंसान से कुछ भी करा सकती है. इसी मजबूरी ने इन युवाओं को यह जुगाडू नाव बनाने के लिए प्रेरित किया. एक युवक का कहना है की चारों तरफ घर सब डूब गए हैं. रोड से आना जाना भी बंद है जिसकी वजह से यह नाव बनाई गई है. गांव वालों का कहना है कि सरकारी सहायता का कितना इंतज़ार करते. कब मिलती मदद या ना मिलती. यहां तक कि पशुपालक अपने पशुओं को भी इसी नाव के सहारे चारा-पानी के लिए ले जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 21:57 IST