देश में सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने गुरुवार को कहा कि भारत में बनी जिम्नी 5 डोर मॉडल ने अब जापान में दस्तक दे चुकी है। इस एसयूवी ने वहां अपना डेब्यू किया है। मारुति सुजुकी के गुरुग्राम स्थित प्लांट में खासतौर से बनी एसयूवी का गुरुवार को जापान में अनावरण किया गया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, जिम्नी फाइव-डोर मॉडल, फ्रोंक्स के बाद वित्त वर्ष 2024-25 में सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के घरेलू बाजार में सप्लाई की जाने वाली दूसरी एसयूवी बन गई है।
दूसरी सबसे अधिक निर्यात की जाने वाली मारुति सुजुकी कार
खबर के मुताबिक, इस मौके पर कंपनी के एमडी और सीईओ हिसाशी टेकाउची ने कहा कि जापान में मेड इन इंडिया जिम्नी 5-डोर की शुरुआत हमारी विनिर्माण क्षमता में उत्कृष्टता के वैश्विक स्तर का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यह कंपनी का दूसरा मॉडल है जिसे इस वित्त वर्ष में अगस्त 2024 में फ्रोंक्स के बाद जापान में निर्यात किया जाएगा। जिम्नी वित्त वर्ष 2024-25 में दूसरी सबसे अधिक निर्यात की जाने वाली मारुति सुजुकी कार है।
मेड इन इंडिया जिम्नी का इन देशों में भी जलवा
टेकाउची ने कहा कि मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे बाजारों में मेड इन इंडिया जिम्नी शानदार सफलता के बाद, हमें विश्वास है कि यह जापान में ग्राहकों को खुश कर देगी। जिम्नी का निर्यात दुनिया के लिए 'मेक-इन-इंडिया' के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। मारुति सुजुकी लगभग 100 देशों में चार पहिया ड्राइव मॉडल का निर्यात करती है। सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने कहा कि वह 3 अप्रैल को जापान में जिम्नी नोमेड नाम से मॉडल लॉन्च करेगी। जिम्नी की आधी सदी से भी ज़्यादा पुरानी विरासत है और दुनिया भर में 199 देशों और क्षेत्रों में इसकी 35 लाख से ज्यादा यूनिट बिक चुकी हैं।
3 डोर वाली जिम्नी पहले से जापान में है मौजूद
कंपनी ने बताया कि जिम्नी का 3 डोर एडिशन जापानी मार्केट में पहले से ही बिक्री के लिए उपलब्ध है। भारत को जिम्नी 5-डोर के उत्पादन केंद्र के रूप में देखते हुए, सुजुकी का लक्ष्य मारुति सुजुकी के ग्लोबल प्रोडक्शन लेवल का फायदा उठाना है ताकि प्रतिष्ठित ऑफ-रोडर ब्रांड की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। मारुति सुजुकी भारत की अग्रणी यात्री वाहन निर्यातक है, जिसने वर्ष 2024 में लगभग 100 देशों को 3. 23 लाख से अधिक वाहन भेजे हैं। वर्ष 2024 में देश के कुल यात्री वाहन निर्यात में कंपनी की हिस्सेदारी 43. 5 प्रतिशत रही।