मैट्रिक्स मूवी जैसे सिम्यूलेशन में जी रहे हम, बाइबल है सबूत साइंटिस्ट का दावा

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एक विज्ञान फंतासी मूवी, द मैट्रिक्स में दिखाया है कि कैसे इंसान मशीनों के बनाए मायाजाल जैसै प्रोग्राम में रहता है, जो आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस का उत्पाद है. फिल्म में इस उत्पाद को मायाजाल या मैट्रिक्स नाम दिया है. कई साइंटिस्ट भी यह कह चुके हैं कि हो सकता है कि आज का इंसान भी इसी तरह के सिम्यूलेशन, यानी मायाजाल जैसे प्रोग्राम में रहता है. अब एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि यह सच हो सकता है और उसका यह भी कहना है कि इसका प्रमाण बाइबल में है.

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर मेल्विन वोपसन ने सुझाव दिया कि हमारा ब्रह्मांड एक कंप्यूटर सिमुलेशन हो सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि बाइबल की सामग्री में इसका सबूत छिपा हो सकता है. इसके पीछे का कारण एआई हो सकती है. दुनिया एक कंप्यूटर कोड भी हो सकती है जो सिमुलेशन को नियंत्रित करती है.

वोपसन ने इस जानकारी को प्रकट करने के लिए मेल से बात की. “बाइबल खुद हमें बताती है कि हम एक सिमुलेशन में हैं और यह हमें यह भी बताती है कि यह कौन कर रहा है. यह एक AI – एक आर्टिफीशियल इंटेलिजेस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता से होता है.” न्यू टेस्टामेंट की पहली चार पुस्तकों में से एक, जोस्पेल ऑफ जॉन, के बड़े कथन के आधार पर वोपसन ने अपने नतीजे जाहिर किए हैं.

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मूवी में भी दिखाया गया है कि सभी इंसान असल में एक एआई प्रोग्राम के अंदर जी रहे होते हैं. (तस्वीर: Instagram)

इसमें लिखा है, “शुरुआत में शब्द था, और शब्द ईश्वर के साथ था, और शब्द ईश्वर था.” उन्होंने कहा कि  इसका “ईसाई सिद्धांत में गहरा धार्मिक महत्व” है, लेकिन जब आप कंप्यूटर सिमुलेशन के लिहाज पर विचार करते हैं, तो इसके “दिलचस्प मतलब” हैं. तर्क यह है कि “शब्द” एक ‘अंतर्निहित कंप्यूटर कोड’ है जो हमें नियंत्रित करता है.

मैट्रिक्स फिल्म में, कंप्यूटर सिमुलेशन में अक्षर और संख्याएं होती हैं जो नियम लिखते हैं. ‘ईश्वर का शब्द’ का मतलब यह हो सकता है कि ईश्वर सिमुलेशन का हिस्सा है, न कि उससे अलग. वोपसन का सुझाव है कि ईश्वर को कोड में लिखा गया था और वह सभी चीज़ों के ‘नियंत्रक’ के रूप में कार्य करता है.

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इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भगवान ने छह दिनों में दुनिया का निर्माण कैसे किया, इस पुराने सवाल का जवाब उनके सिद्धांत के माध्यम से मिलता है. भगवान कंप्यूटर प्रोग्राम में समाहित नकली वास्तविकता के जरिए ऐसा कर सकते थे, जिसे वैज्ञानिकों ने संभव साबित किया है.

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FIRST PUBLISHED :

October 1, 2024, 09:21 IST

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