बेटियों ने अपने पिता को दी मुखाग्नि
कोटा:- आज के दौर में कहा जाता है कि बेटियां बेटों से कम नहीं होती है. बेटियों को अगर जिम्मेदारी दी जाए, तो वह भी उसे निभाती है. फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र की जिम्मेदारी क्यों ना हो. बेटियां आज अपने माता-पिता की ताकत बनी हुई हैं और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी हैं. इसका एक बड़ा उदाहरण राजस्थान के कोटा की इन 6 बेटियों ने अपने पिता के अर्थी को कंधा देकर साबित कर दिया है. कुछ लोग आज भी लड़कियों को लेकर एक पुरानी मानसिकता रखते हैं, जो उनके ताकत को सीमित करती है.
अब तक समाज सोचता था कि घर पर बेटे के बिना कोई काम नहीं होता. लेकिन अब उसके विचार बदलने लगे हैं. जो पिता सोचता था कि बेटे के बिना अंतिम संस्कार नहीं होता, उनके सामने बदलाव की मिसाल आई है. कोटा में एक पिता की मृत्यु हो गई और उनका कोई बेटा नहीं था, सिर्फ 6 बेटियां थी. बेटियों ने सामाजिक बंधन तोड़ते हुए पिता को मुखाग्नि दी. 6 बहनें अर्थी को कंधा देते हुए श्मशान तक गईं, जिसे देख हर किसी की आंखों में आंसू आ गए.
विधि-विधान से किया अंतिम संस्कार
कोटा के रामपुर निवासी दिलीप चौरसिया का निधन हो गया. पिता के निधन पर 6 बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए सभी सामाजिक बंधन तोड़ते हुए क्रांति लाने का फैसला लिया और पिता की अर्थी को कंधा देकर श्मशान ले गए और वहां पूरे विधि-विधान से पिता का अंतिम संस्कार किया और उनकी चिता को मुखाग्नि दी. यह दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो गईं.
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बेटे का निभाया फर्ज
कोटा की इन लड़कियों के साहसिक काम से पूरे इलाके में एक सकारात्मक संदेश गया है. इन बेटियों ने न सिर्फ मुखाग्नि दी, बल्कि बेटों की तरह ही अर्थी को भी कंधा दिया. अर्थी के साथ घर से चलीं और श्मशान घाट पहुंचकर पिता की मुक्ति के लिए हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कराया. वहीं कुछ लोग इस दृश्य को देखकर फफक-फफककर रो पड़े. यह नजारा कोटा के लाड़पुरा क्षेत्र में रामपुरा मुक्तिधाम में देखने को मिला. आकस्मिक देहावसान के बाद दिलीप चौरसिया का सहारा ये 6 बेटियां बनी और बेटे का फर्ज निभाया.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 10:27 IST