बेंगलुरु: 26 नवंबर को भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है, जो भारतीय संविधान और उसके महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने का एक अवसर है. इस दिन का उद्देश्य लोगों को भारतीय संविधान के बारे में जानकारी देना और भारतीय संविधान के निर्माता, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधाराओं और उनके योगदान को याद करना है.
भारतीय संविधान का इतिहास
भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था. इस दिन की ऐतिहासिक महत्ता को समझाने के लिए हम भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. डॉ. अंबेडकर ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण दिशा दिखाते हुए भारतीय समाज के लिए नया मार्ग प्रशस्त किया. वे भारतीय समाज में समानता, न्याय और बुराई के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक बन गए थे. उनका मानना था कि हर जीवित प्राणी को जीवन का अधिकार है और समाज में भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
शिक्षा को शेर का दूध मानते थे बाबा साहेब
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा को शेर के दूध से भी महत्वपूर्ण बताया था. डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने शिक्षा को शेर का दूध बताया था। उन्होंने उपदेश दिया कि ‘शिक्षा शेर के दूध के समान है, जो इसे पीये उसे दहाड़ना चाहिए. उनका मानना था कि शिक्षा प्राप्त करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना शेर के दूध को पीना और फिर दहाड़ना. इसके माध्यम से उन्होंने शिक्षा के महत्व को बताया और यह संदेश दिया कि जो लोग शिक्षा प्राप्त करते हैं, उन्हें समाज में बदलाव लाने की शक्ति मिलती है. बाबा साहब का विश्वास था कि शिक्षा ही समाज के कमजोर वर्गों, खासकर गरीबों, महिलाओं और वंचित समुदायों के लिए प्रगति का मार्ग है.
डॉ. अंबेडकर का योगदान
डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल दलितों के अधिकारों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए काम करते थे. वे भारतीय संविधान के जनक और स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे. उन्होंने भारतीय रुपये का मूल्य तय किया और भारतीय रिजर्व बैंक की नींव रखी. कई लोग यह मानते हैं कि डॉ. अंबेडकर ने केवल दलितों के लिए काम किया, लेकिन वे एक महान अर्थशास्त्री और मानवतावादी थे, जिन्होंने श्रमिकों, महिलाओं, किसानों और हर वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष किया.
डॉ. अंबेडकर का जीवन और शिक्षा
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के इंदौर के एक दलित महार परिवार में हुआ था. बचपन में उन्हें छुआछूत और भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा के लिए समर्पित कर दी. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया और एक लोकतांत्रिक भारत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका मानना था कि शिक्षा से ही किसी भी लड़ाई को लड़ा और जीता जा सकता है.
संविधान दिवस और उसकी महत्ता
हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान अपनाया गया था. भारतीय संविधान को तैयार करने में दो साल, 11 महीने और 18 दिन लगे थे. 26 जनवरी 1950 को इसे आधिकारिक रूप से लागू किया गया, और तभी से यह दिन हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. संविधान दिवस भारत के लोकतंत्र की नींव और समाज में समानता, न्याय की ओर कदम बढ़ाने का प्रतीक बन चुका है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 15:34 IST