खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा में एक अनोखा घंटा है. इस घंटो को घटी के समय के हिसाब से बजाया जाता है. आज भी यहां लोग समय के लिए घड़ी से ज्यादा घंटे की आवाज पर विश्वास करते हैं. खंडवा में इस स्थान पर इस परंपरा का निर्वहन होते हुए 100 साल पूरे हो चुके हैं. आसपास के पुराने लोग आज भी घड़ी देखने के बजाय घंटे की आवाज से समय का अंदाजा लगाते हैं.
सहायक प्रबंधक ओम प्रकाश बरोले ने बताया कि घंटा बजाने की यह परंपरा समय को दर्शाती है. जितने बज रहे होंगे, उतनी बार घंटा बजाया जाएगा. मतलब रात के 11 बजे होंगे तब 11 बार इस घंटे को बजाया जाता है. 12 बजे 12 बार घंटे को बजाया जाता है. उस समय जो भी ड्यूटी पर रहता है, वही इस घंटे को बजाता है. यह घंटा करीब 100 साल से ऐसे ही समय बताता आ रहा है.
राजा-महाराजा के समय की परंपरा
उन्होंने आगे बताया कि सेठानी पार्वतीबाई धर्मशाला ने 2024 में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. यह धर्मशाला 1924 में मात्र 2 लाख रुपये में बनाई गई थी और इसे आम लोगों का महल कहा जाता है. इसमें लगा घंटा भी लोगों को खासा आकर्षित करता है. कहा जाता है कि घंटा बजाने की यह परंपरा अंग्रेजों के समय से भी पहले की है, जब राजा-महाराजा का शासन था. युद्ध के दौरान घंटा बजाकर ही सैनिकों को बताया जाता था. राजा महाराजा अपने महल में भी इस घंटे का उपयोग करते रहे हैं. लेकिन समय के साथ-साथ और आधुनिकता की चकाचौंध में अब यह समय बताने वाला घंटा लगभग विलुप्त होने की कगार पर है.
घंटा बजाने का धार्मिक आधार
वहीं, धार्मिक आधार पर बात करें तो हिंदू धर्म में घंटियां-घंटे आमतौर पर मंदिर के गर्भगृह के बजाने की परंपरा रही है. आमतौर भक्त गर्भगृह में प्रवेश करते समय घंटी बजाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि घंटी बजाकर भक्त अपने आगमन की सूचना देवता को देते हैं. घंटी की आवाज़ को शुभ माना जाता है जो देवत्व का स्वागत करती है और बुराई को दूर करती है.
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FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 16:44 IST