पाषाण देवी मंदिर में चट्टान में नौ पिंडी रूप में अवतरित है भगवती मां
नैनीताल: देवभूमि उत्तराखंड में हर कण में देवताओं का वास है. यही वजह है कि इसे पुराणों में देवभूमि या पुण्यभूमि कहा गया है. यहां अनेकों मंदिर हैं, जिनकी मान्यता अत्यधिक है. ऐसा ही एक मंदिर नैनीताल के ठंडी सड़क में स्थित है, जिसे पाषाण देवी मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर में मां भगवती के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है.
चट्टान में प्रकट हुई माता
पाषाण देवी मंदिर में माता की मूर्ति स्वयं चट्टान में अवतरित हुई है. लोकल 18 से बात करते हुए मंदिर के पुजारी जगदीश भट्ट ने बताया कि इस मंदिर में मां भगवती के नौ रूप हैं, जिन्हें भक्त एक साथ देख सकते हैं. यह कुदरती आकृति चट्टान की शिला पर स्थित है, जहां भक्त मां के मुख और पिंडी रूप के दर्शन कर सकते हैं. मां के इन नौ रूपों की उपस्थिति इस मंदिर की महत्ता को दर्शाती है. यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि केवल माता के दर्शन से ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं.
खोज की कहानी
पाषाण देवी मंदिर की खोज का श्रेय द्वितीय कुमाऊं कमिश्नर, जी डब्ल्यू ट्रेल को जाता है. प्रोफेसर अजय रावत, जो एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं, बताते हैं कि ट्रेल बड़े आध्यात्मिक व्यक्ति थे और रोजाना सुबह ठंडी सड़क पर सैर करते थे. उस समय ठंडी सड़क केवल एक पगडंडी हुआ करती थी. एक दिन, सैर के दौरान, उन्हें घाटियों से आवाज सुनाई दी. इस आवाज की खोज में, उन्होंने अगले दिन अपने पटवारी के साथ उस स्थान पर जाने का निर्णय लिया. जब वे वहां पहुंचे, तो उन्होंने एक गुफा में चट्टान में मां भगवती का स्वरूप देखा. इसके बाद उन्होंने वहां पाषाण देवी मंदिर की स्थापना की. प्रोफेसर रावत बताते हैं कि जब ट्रेल ने कुमाऊं में अस्सी साल बंदोबस्त शुरू किए उस दौर में ही लगभग साल 1823 ई. में इस मंदिर की भी खोज उनके द्वारा की गई.
भक्तों की भक्ति
पाषाण देवी मंदिर की महिमा सिर्फ उसके अद्वितीय स्वरूप के कारण नहीं, बल्कि वहां आने वाले भक्तों की भक्ति और आस्था के कारण भी है. भक्त दूर-दूर से यहां आकर मां के नौ रूपों के दर्शन करते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 12:35 IST