अल्मोड़ा में लगता है भारत का तीसरा सबसे बड़ा दशहरा.
अल्मोड़ा: ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन नगरी अल्मोड़ा अपनी अनूठी संस्कृति और कला के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. यहां का दशहरा उत्सव भारत में तीसरे स्थान पर आता है, जो इसे और भी खास बनाता है. पहले स्थान पर मैसूर और दूसरे पर कुल्लू-मनाली का दशहरा आता है, लेकिन अल्मोड़ा का दशहरा अपनी विशिष्टता के कारण अलग पहचान रखता है. अल्मोड़ा में रावण के एक पुतले के बजाय, रावण परिवार के दो दर्जन से भी ज्यादा पुतले बनाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय कलाकारों द्वारा तैयार किया जाता है. इन पुतलों में क्राफ्ट वर्क का खास काम देखने को मिलता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है.
अल्मोड़ा का दशहरा क्यों है खास?
अल्मोड़ा का दशहरा मैसूर और कुल्लू-मनाली के बाद तीसरे स्थान पर आता है. इसके पीछे कई विशेष कारण हैं. मैसूर में विजयदशमी के दिन सड़कों पर सजे-धजे हाथियों के साथ चामुंडेश्वरी देवी की प्रतिमा और 750 किलो के ‘स्वर्ण हौदा’ का जुलूस निकाला जाता है, जबकि कुल्लू-मनाली में हजारों श्रद्धालु देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं. वहीं, अल्मोड़ा में रावण परिवार के 20 से 25 पुतले बनाए जाते हैं, जो विजयदशमी के दिन नगर में जुलूस के रूप में निकाले जाते हैं और देर रात इन्हें स्थानीय मैदान में दहन किया जाता है. इस जुलूस और पुतला दहन को देखने के लिए हजारों लोग अल्मोड़ा में इकट्ठा होते हैं.
स्थानीय कलाकारों का योगदान
स्थानीय कलाकार अर्जुन बिष्ट बताते हैं कि अल्मोड़ा का दशहरा इसलिए भी खास है क्योंकि यहां रावण परिवार के पुतले अलग-अलग मोहल्लों में बनाए जाते हैं. बड़े कलाकारों के साथ युवा कलाकार भी इन पुतलों के निर्माण में भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. यही कारण है कि अल्मोड़ा का दशहरा पूरे भारत में मशहूर है. जब दशहरे के दिन ये पुतले नगर में जुलूस के रूप में निकाले जाते हैं, तो बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं. यह आयोजन न केवल उत्तराखंड, बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटकों को भी आकर्षित करता है.
अल्मोड़ा दशहरा की विश्व प्रसिद्धि
दशहरा समिति के अध्यक्ष अजीत सिंह कार्की ने बताया कि अल्मोड़ा का दशहरा आज विश्वभर में विख्यात है, और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इसका मुख्य आकर्षण रावण परिवार के दो दर्जन से भी अधिक पुतले हैं, जिन्हें गाड़ियों में नगर के विभिन्न हिस्सों से होकर निकाला जाता है. अन्य स्थानों पर केवल रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए जाते हैं और उन्हें एक ही मैदान में जलाया जाता है, लेकिन अल्मोड़ा में ये पुतले पूरे नगर में घुमाए जाते हैं और फिर देर रात मैदान में दहन किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 16:54 IST