'सरकार... बूढ़ों का भी तो रखो ख्याल, 60 साल से वही हाल' शिमला के बुजुर्ग बोले

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शिमला

शिमला के बुजुर्गों को नहीं मिल रही सुविधाएं.

शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल है. देश-विदेश से पर्यटक यहां के इतिहास और खूबसूरत वादियों के दीदार के लिए पहुंचते हैं. लेकिन, शिमला में बुजुर्गों के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं है. यह हम नहीं कह रहे है, ऐसा शिमला के बुजुर्गों का कहना है. शिमला में पर्याप्त बैठने की सुविधा नहीं है. बुजुर्गों के चलने के लिए सीढ़ियों के साथ रैंप नहीं है. वहीं, बुजुर्गों के लिए किसी एल्डर्ली होम या पार्क की सुविधा नहीं है. बुजुर्ग केवल माल रोड पर घूम सकते हैं, लेकिन उनके बैठने के लिए बेंच आदि की सुविधा नहीं है.

बुजुर्गों के लिए बनाया जाना चाहिए एल्डर्ली क्लब
स्थानीय निवासी एवम् रिटायर्ड कर्मचारी सुभाष वर्मा ने लोकल 18 को बताया कि वह 60 साल से शिमला में रह रहे हैं. लेकिन, जो स्थित यहां 60 साल पहले थी, वही स्थित आज भी है. पैदल चलने के लिए पेडेस्टल पाथ बनाए जा सकते हैं, इन पर लगी शेड लोगों को बर्फ, बारिश और धूप से बचाती है. बुजुर्गों के बैठने के लिए कोई उपयुक्त स्थान नहीं है. शहर में एल्डर्ली क्लब की बहुत आवश्यकता है, जहां बुजुर्ग लोग बैठ सके और बातचीत कर सकें. सभी लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के क्लब और पार्क बनाए गए है, लेकिन यह खेद का विषय है कि बुजुर्गों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है.

बुजुर्गों के लिए होनी चाहिए लाइब्रेरी की सुविधा
स्थानीय निवासी परमानंद भारद्वाज ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि बुजुर्गों के लिए बैठने का स्थान होना चाहिए और एक सीमित दूरी के अनुसार बेंच होनी चाहिए. वहीं, बुजुर्गों के लिए एक सिटी हॉस्पिटल होना भी बहुत आवश्यक है, ताकि बुजुर्ग भीड़भाड़ वाले अस्पतालों में जाने से बच सकें. इसके अलावा किताबें और अखबार पढ़ने वाले लोगों के लिए भी किसी लाइब्रेरी का प्रावधान होनी चाहिए. वहीं, छोटे पार्क बनाए जाने चाहिए, जहां बुजुर्ग बैठ सकें. रिटायर्ड कर्मचारी और अन्य बुजुर्ग मॉल रोड और रिज आदि स्थानों पर आते हैं. लेकिन, उन्हें केवल घूमना ही पड़ता है, बैठने के लिए कोई भी पर्याप्त स्थान नहीं है.

बुजुर्गों के लिए बनाया जाए सीढ़ियों के साथ रैंप
स्थानीय निवासी गुलाबा राम वर्मा ने लोकल 18 को बताया कि शिमला में बुजुर्गों के लिए बीते 60 साल से एक जैसी ही सुविधा चली आ रही है. बुजुर्गों के बैठने के लिए न कोई बेंच है और न ही कोई ऐसा स्थान है, जहां बुजुर्ग बैठ कर कुछ देर बातें कर सकें. वहीं, सीढ़ियों के साथ कोई रैंप तक नहीं है. बुजुर्गों को लंबा रास्ता लेना पड़ता है या सीढ़ियों की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. कई लोग सीढियां चढ़ते में असमर्थ होते हैं, ऐसे में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हम सरकार से यहीं मांग करते है कि बुजुर्गों के लिए सुविधा देने का प्रावधान किया जाए.

Tags: Local18, Public Opinion, Shimla News

FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 18:54 IST

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