रुद्रप्रयाग: दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर और पंच केदारों में से एक, तुंगनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के कार्यों को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. इससे मंदिर को एक नया और आकर्षक रूप मिलेगा, जो न केवल इसकी ऐतिहासिकता को सुरक्षित रखेगा बल्कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा भी बढ़ाएगा. यह कार्य धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
दो साल पहले बीकेडीसी (बदरी-केदार मंदिर समिति) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग (ASI) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) से मंदिर के सौंदर्यीकरण, जीर्णोद्धार और सुरक्षात्मक कार्यों के लिए तकनीकी सलाह मांगी थी. दोनों विभागों ने मंदिर का सर्वेक्षण किया और अपनी रिपोर्ट बीकेडीसी को सौंप दी.
सीबीआरआई की रिपोर्ट का इंतजार
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों ने भी तुंगनाथ मंदिर का दौरा किया है और वे जल्द ही अपनी रिपोर्ट बीकेटीसी को सौंप देंगे. बीकेटीसी ने एएसआई और जीएसआई की रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड शासन से संरक्षण कार्यों के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति मांगी थी, जो अब मिल गई है.
ऐतिहासिक संरचना का विशेष ध्यान
उत्तराखंड के धर्मस्व और संस्कृति सचिव, हरिचंद्र सेमवाल ने बीकेटीसी को अनुमति प्रदान करते हुए निर्देश दिया है कि मंदिर की ऐतिहासिक संरचना का ध्यान रखते हुए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाए. सभी कार्य सीबीआरआई रुड़की के मार्गदर्शन में और एएसआई व जीएसआई के तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग से किए जाएंगे, ताकि मंदिर की पौराणिकता और संरचना को बनाए रखा जा सके.
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तुंगनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व
तुंगनाथ मंदिर, जो रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, भगवान शिव को समर्पित है. यह पंच केदारों में से एक है और धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है. मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला और आसपास के सुरम्य पर्वतीय दृश्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करते हैं. कपाट खुलने के दौरान भगवान तुंगनाथ की पूजा तुंगनाथ में होती है, जबकि सर्दियों में पूजा मक्कूमठ में की जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 1, 2024, 15:06 IST