सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की जम्मू कश्मीर की टाडा कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी का विरोध किया है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यासीन मलिक कोई आम आतंकवादी नहीं है। वो लगातार पाकिस्तान जाता रहा है। हाफिज सईद के साथ उसने मंच साझा किया है। हम उसे जम्मू कश्मीर नहीं ले जाना चाहते है। उसके जम्मू कश्मीर जाने से वहां का माहौल बिगड़ सकता है। अगर वो व्यक्तिगत पेशी पर ही अड़ा हुआ है तो फिर ट्रायल यहां दिल्ली ट्रांसफर किया जा सकता है।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस ओक ने कहा कि बिना व्यक्तिगत पेशी के क्रॉस एग्जामिन कैसे होगा। हमारे देश में अजमल कसाब तक को निष्पक्ष ट्रायल का मौका दिया गया। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के लिए जेल के अंदर ही कोर्ट बनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने SG से कहा है कि वो मामले में बचे हुए गवाहों और यासीन के साथ सह आरोपी बनाए गए लोगों के बारे में जानकारी कोर्ट को सौंपे। कोर्ट को बताइए कि कितने गवाहो को सुरक्षा की ज़रूरत है।कोर्ट अगले गुरुवार को दोबारा सुनवाई करेगा।
आपको बता दें कि CBI ने जम्मू कश्मीर के टाडा कोर्ट के सितम्बर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने इंडियन एयर फोर्स के चार जवानों की हत्या और रुबैया सईद के अपहरण के मामले में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।
SG मेहता ने कहा कि गवाहों को कडी सुरक्षा की जरूरत होगी, एक गवाह की हत्या कर दी गई थी। यासीन मलिक का कहना है कि हम व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे। वह इस कोर्ट मे भी पेश होना चाहते हैं। CBI का कहना है कि यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी से राज्य का माहौल बिगड़ सकता है,केस के गवाहो की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
SG तुषार मेहता ने कहा कि हम यासीन मलिक को जम्मू नहीं ले जाना चाहते ये सुरक्षा का मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि फिर उसका क्रॉस एग्जामिनेशन ऑनलाइन कैसे होगा? हमारे देश में अजमल कसाब को निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी पेश हो सकता है।