रावण का पुतला
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : धार्मिक नगरी प्रयागराज और काशी के बीच में बसे मिर्जापुर जिले में रावण के पुतले को दहन से पहले ही लूट लिया जाता है. यह एक मात्र ऐसा स्थान है, जहां पर स्थानीय लोग ही रावण को मारकर उसके पुतले के अवशेष को लूटकर घर ले जाते हैं. मान्यता है कि पुतले के अंश को घर में रखने से सुख और समृद्धि मिलती है. वहीं घर में जीव व जंतु भी प्रवेश नहीं करते हैं. सैकड़ों सालों से अनोखी परंपरा के तहत हर वर्ष विजयादशमी पर्व मनाया जाता है.
मिर्जापुर के विंध्याचल के बंगाली तिराहा पर सैकड़ों वर्षों से विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है. विंध्यधाम में राष्ट्रीय विन्ध्य पर्यावरण सुरक्षा एवं धर्मोत्थान समिति द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. देशभर में बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को दहन करके और कहीं पर सिर कलम करके विजयादशमी मनाया जाता है, लेकिन विन्ध्यधाम में रावण को तीर लगते ही स्थानीय लोग पुतला लूटकर घर ले जाते हैं.
सुख समृद्धि की होती है प्राप्ति
विंध्यधाम के बबलू बाबा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि यह परंपरा पूर्वजों से चली आ रही है. बंगाली तिराहा के पास प्रभु श्रीराम का दरबार लगाया जाता है. रात्रि में करीब 11 बजे रावण के पुतले को प्रभु राम तीर मारते हैं. तीर लगते ही स्थानीय लोग पुतले पर टूट पड़ते है और लूट ले जाते हैं. मान्यता है कि सालभर घर में रखने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
यह है पुतला लूटने का रहस्य
तीर्थ पुरोहित पं. अजय त्रिपाठी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि हर वर्ष बंगाली तिराहा पर प्रभु श्रीराम के चौक को लगाया जाता है. यहां पर सैकड़ों वर्षों से परम्परा चली आ रही है. विजयादशमी के दिन यहां पर रावण के पुतले को स्थानीय लोग मारकर लूटकर ले जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि रावण के पुतले के अवशेष को घर में रखने से खटमल, मच्छर व मक्खी जैसे कीटों से मुक्ति मिलती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 13, 2024, 07:42 IST