भारत और चीन ने बीत माह एलएलसी पर लंबे समय से बने विवाद को सुलझाने की घोषणा की थी. अब दोनों देशों की सेना एलएसी के विवादित क्षेत्र से पीछे हट गई है. दोनों देशों ने विवाद से पहले की स्थिति बहाल करने की बात कही है. दोनों देशों के बीच इस समझौते के बाद झटके में दुनिया की भू-राजनीतिक दिशा बदल गई है. इस समझौते के कुछ ही दिनों के भीतर भारत और चीन के शीर्ष नेतृत्व के बीच रूस में बड़ी बैठक हुई. उसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों के बीच भी बातचीत हुई. दोनों देश अब रिश्तों में गर्माहट लाने और आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. बीते सप्ताह ही ब्राजील में जी20 देशों के सम्मेलन में एस जयशंकर की चीनी विदेश मंत्री के साथ लंबी बातचीत हुई.
भारत और चीन के रिश्तों में सुधार का सीधा असर क्षेत्र के देशों पर भी पड़ना स्वाभाविक है. इसी कड़ी में चीन, भूटान के साथ भी अपना सीमा विवाद सुलझाना चाहता है. भूटान संभवतः दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है जो स्वंतत्र रूप से अपनी विदेश और रक्षा नीति तय नहीं करता है. पड़ोसी देश के साथ भारत का दशकों पुराना समझौता है. इसी कारण भूटान, भारत से सलाह लिए बिना इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा सकता है.
नई दिल्ली में भूटानी पीएम
इसी कड़ी में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे नई दिल्ली की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री ने जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद मार्च में भारत का दौरा किया था, जो उनकी पहली विदेश यात्रा थी. वह बीते माह यानी अक्टूबर में भी भारत आए थे. अब वह फिर नई दिल्ली आए हैं. वह 24 से 26 नवंबर तक भारत में रहेंगे.
भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के बाद भूटान भी अपने पड़ोसी चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाना चाहता है. इसमें भारत की अहम भूमिका है. क्योंकि डोकगाम सहित जिन क्षेत्रों में भूटान का चीन के साथ सीमा विवाद है उन सभी क्षेत्र में भारत का हित जुड़ा है. डोकलाम एक ट्राइजंक्शन है. यानी यहां भारत, चीन और भूटान तीनों की सीमा लगती है. 2017 में चीन ने इस इलाके में घुसपैठ कर लिया था. इस कारण भूटान की तरफ से भारत ने मोर्चा संभाला और फिर लंबे समय टकराव की स्थिति बनी रही. करीब 73 दिनों तक भारत और चीन की सेना आमने सामने थी. फिर अगस्त 2017 में दोनों देशों की सेना पीछे लौटी. फिर पीएम मोदी चीन के दौरे पर गए थे.
चीन के साथ भूटान की बातचीत
वैसे तो चीन और भूटान के बीच कोई औपचारिक राजयनिक चैनल नहीं है लेकिन दोनों देश बीते कुछ समय से सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. इस दिशा में भूटान को भारत का समर्थन चाहिए. बीते साल अक्टूबर में चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद सुलाने के लिए 25वें दौर की वार्ता हुई. उसके बाद भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक आठ दिवसीय भारत दौर पर आए. फिर इसी साल मार्च प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग अपने पहले विदेश दौरे पर भारत आए. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के साथ ड्रैगन के भूटान के भी सीमा विवाद पर बातचीत होगी. माना जा रहा है कि इसी संदर्भ में भूटानी पीएम एक बार फिर भारत आए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 14:57 IST