बाला गांव के पास स्थित गौरी भाकरी पर है मां आशापुरा का मंदिर
पाली:- राजस्थान ऐतिहासिक स्थलों और मंदिरों का राज्य है. यहां ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपनी-अपनी मान्यताओं के लिए पहचान रखते हैं. अभी जहां नवरात्रि का पर्व चल रहा है, तो ऐसे में हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसको आशापुरा माता के मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की खास मान्यता यह है कि अगर आप किसी भी प्रकार का नशा छोडना चाहते हैं, तो आप यहां आकर माता के मंदिर में धागा बांध दें और संकल्प ले लें, तो आपका नशा छोड़ने में माता सहायता करती हैं. यह मंदिर पाली से करीब 25 किमी दूर बाला गांव के पास स्थित गौरी भाकरी पर है, जिन्हें मां आशापुरा का मंदिर कहा जाता है. मंदिर बनने की कहानी भी बड़ी अनूठी है. यहां पर 40 साल पहले एक छोटे से चबूतरे पर मां विराजती थीं. 1996 में पूनमपुरी महाराज यहां रहने लगे. उन्होंने पहले रास्ता बनवाया, फिर इसके बाद पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण कराया.
पहला मंदिर, जहां माता की दो मूर्तियां
खास बात यह है कि इस पहाड़ी पर मां आशापुरा के मंदिर में दो मूर्तियां हैं और दोनों ही मां आशापुरा माता की है. इसके बाद 2012 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई, जहां हर साल मेला भरता है. किवदंती है कि इस क्षेत्र में चोरियां काफी होती थी, ऐसे में मां के चमत्कार से चोर अंधे हो गए थे. मान्यता है कि दर्शन करने के बाद पांच परिक्रमा करने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
भक्तों के लिए खाने-पीने की नि:शुल्क सुविधा
भक्तों के लिए खाने-पीने, रहने की सुविधाएं नि:शुल्क है. पूनमपुरी महाराज तपस्वी संत थे. बाला गांव से मंदिर तक पहुंचने के लिए खुद के स्तर पर 4 किमी ग्रेवल सड़क का निर्माण कराया गया और ओपन वेल बनवाया गया, कई धर्मशालाओं का निर्माण कराया गया. पहाड़ी तक अब सीसी सड़क बन चुकी है. हर महीने शुक्ल पक्ष की तेरस को भजन संध्या व प्रसादी होती है.
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यहां नशा मुक्ति का संकल्प लेते है भक्त
पूनमपुरी महाराज इस मंदिर पर आने वाले भक्तों को नशा नहीं करने का संकल्प दिलाते थे. इसका परिणाम है कि 11 हजार से अधिक युवाओं ने नशा छोड़ दिया. गुरु महाराज का 2015 में देवलोक गमन हो गया था. आज भी लोग यहां पर आकर धागा बांधकर नशामुक्ति का संकल्प लेते हैं और उनका यह संकल्प पूरा भी होता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 11:49 IST
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