आगराः भारत में रामलीलाओं के मंचन का इतिहास का काफी रोचक है. पहले गांव के नुक्कड़, चौक-चौराहे, कस्बों में रामलीलाओं का मंचन होता था. मगर, जैसे-जैसे समय बदला, रामलीलाओं के मंचन और प्रस्तुति में तब्दीलियां आती गई. अब तो एक दिवसीय नृत्य और संगीतमय रामलीला का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसमें रामायण को नृत्य और संगीत शैलियों के साथ प्रस्तुत किया जाता है. ये देखने में मनोरम और आकर्षक होती हैं.
हर तरफ भगवान राम के जन्म की खुशी में प्रज्ज्वलित दीपों की बिखरती उज्ज्वलता जो वातावरण को ही नहीं मन के अन्धकार को भी श्रीहरि की भक्ति के प्रकाश से दूर कर रही थी. मन में श्रद्धा का भाग व और मुख पर श्रीराम के जयकारे. हर तरफ खुशियां और प्रकाश बिखरा था.श्रीराम जन्मोत्सव के मौके पर आज राजा दशरथ व रानी कौशल्या (संतोष शर्मा व ललिता शर्मा) के निवास पर कुछ ऐसा ही नजारा था.
आज बाग फरजाना क्षेत्र (राजा दशरथ के आवास पर) में रामलीला आयोजन के तहत श्रीराम जन्म की शुशी में 1001 दीप जलाकर दीपावली मनाई गई. राजा दशरथ का आवास प्रकाश और फूलों से ऐसे सजा था मानो अयोध्या नगरी. दीपों की श्रंखला में सियाराम, अयोध्या, लक्ष्मण, हनुमान और रामायण के अन्य पात्रों के नाम लिखे गए.
FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 10:37 IST