कैमूर : बिहार के विधानसभा उपचुनावों में अधिकतर दलों ने परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है. हालांकि, चर्चा इस बात की भी है कि जनता अब परिवारवाद से ऊब चुकी है. इसका असर रामगढ़ में कल होने वाली मतगणना के परिणाम में देखने को मिल सकता है. माना जा रहा है कि इस सीट पर इंडिया ब्लॉक के साथ-साथ एनडीए भी मुश्किल में है. हालांकि इस सीट पर नजदीकी लड़ाई है.
रामगढ़ विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां आरजेडी से अजीत सिंह, बीजेपी से अशोक सिंह, बसपा से पिंटू यादव और जन सुराज से सुशील सिंह कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं. रामगढ़ में जातीय समीकरणों के साथ-साथ ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण भी पूरी तरह से बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है विरासत की राजनीति. रामगढ़ सीट से पहले जगदानंद सिंह जीतते आ रहे थे. एक बार अंबिका यादव ने यहां से जीत हासिल की थी. उसके बाद फिर से जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह यहां से विधायक बने और बाद में नीतीश सरकार में मंत्री भी बने. फिलहाल सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद हैं. उनके सासंद बनने के बाद यहां उपचुनाव कराया गया है.