Agency:पीटीआई
Last Updated:January 23, 2025, 20:27 IST
Railway Death Claim Scam: रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल फ्रॉड मामले में ED ने पटना से लेकर मंगलुरु तक छापा मारा है. जज आके मित्तल से जुड़े ठिकानों पर भी रेड मारी गई. जांच एजेंसी ने पटना से तीन वकीलों को गिरफ्तार कि...और पढ़ें
नई दिल्ली. रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. जांच एजेंसी ने जज आरके मित्तल और कुछ वकीलों के पटना, नालंदा और मंगलुरु स्थित ठिकानों पर छापे मारे. हाई-प्रोफाइल मामले में ED ने तीन वकीलों को भी गिरफ्तार किया है. डेथ क्लेम के नाम पर जिस तरह से रेलवे के खजाने में सेंध लगाइ गई, उसके तौर-तरीके जानकर एजेंसियों के भी पसीने छूट गए. अब ED ने इस मामले में गिरफ्तारियां कर बड़ा खुलासा करने का दावा किया है. आरोपियों ने मिलीभगत कर दर्जनों लोगों को चूना लगाया. मुआवजे की राशि बड़ी चालाकी से हड़प लिए. इस तरह से पीड़ित के साथ ही रेलवे के साथ भी धोखाधड़ी को अंजाम दिया.
ईडी ने गुरुवार को कहा कि उसने पटना में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल द्वारा स्वीकृत मुआवजे की कथित हेराफेरी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन वकीलों को गिरफ्तार किया है. केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने हाल ही में बिहार के पटना और नालंदा और कर्नाटक के मंगलुरु में जज आरके मित्तल और कुछ वकीलों से संबंधित चार स्थानों पर छापेमारी की. बुधवार को तीन वकीलों (विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार) को इस घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले गिरफ्तार किया गया. एजेंसी ने कहा कि तीनों को पटना की एक विशेष मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
CBI ने पहले दर्ज की थी FIR
ईडी ने बताया कि उसका मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से दर्ज एफआईआर के बाद बना है. इसमें पटना में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल द्वारा फाइल, प्रोसेस्ड और निर्णय किए गए डेथ क्लेम मामलों में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने के आरोप लगाए गए. ईडी ने आरोप लगाया कि दुर्घटनाग्रस्त रेलवे क्लेम मामलों में दावा करने वालों को स्वीकृत राशि का केवल एक हिस्सा ही मिला और उसका एक बड़े पार्ट पर आरोपियों हेराफेरी कर कब्जा कर लिया.
डेथ क्लेम के 900 मामले
जांच एजेंसी ने बताया कि विद्यानंद सिंह और उनकी टीम (जिसमें परमानंद सिन्हा और विजय कुमार शामिल हैं) ने लगभग 900 मामलों को संभाला. इन मामलों में जज आरके मित्तल की ओर से आदेश दिए गए. क्लेम करने वालों को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था. ईडी ने आगे बताया कि जांच यह पाया गया कि इन वकीलों ने दावा करने वालों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और खुद ही उसे ऑपरेट भी किया. उनके हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का उपयोग करके रेलवे से क्लेम में मिली राशि को अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया या फिर कैश निकाल लिया.
गजब की हेराफेरी
बाद में उन्होंने अपनी मर्जी के अनुसार दावा करने वालों को मुआवजे की राशि का एक हिस्सा दिया. ईडी ने बताया कि तलाशी के दौरान वकीलों और जज द्वारा अर्जित प्रॉपर्टी की पहचान की गई. डिजिटल रिकॉर्ड सहित रिकवरी की गई है, जिसमें दावा करने वालों द्वारा हस्ताक्षरित खाली चेक और कोरे कागज शामिल हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 23, 2025, 20:27 IST